Maghi Ganesh Jayanti 2020: ये हैं माघी गणेश चतुर्थी की पूजा विधि, जरूर करें इस मंत्र का जाप

Maghi Ganesh Chaturthi 2020 Pooja Vidhi: माघी गणेश चतुर्थी इस साल 28 जनवरी 2020 को मनाई जाएगी। इसके लिए सिद्धिविनायक मंदिर में उत्सव मनाया जा रहा है। जानिए इसकी पूजा विधि...

Ganesh Chaturthi
Ganesh Chaturthi 
मुख्य बातें
  • माघी गणेश चतुर्थी माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथी में मनाया जाती है।
  • माघ महीने में होने के कारण इसे माघी गणेश चतुर्थी कहा जाता है।
  • माघी गणेश चतुर्थी को लेकर कई मान्यताएं हैं।अग्नि पुराण में भी इसका वर्णन मिलता है।

नई दिल्ली. गणपति बप्पा की पूजा तो हर शुभ काम करने से पहले होती है। हालांकि, साल में दो बार गणपति बप्पा की विशेष पूजा होती है। इनमें पहला है गणेश चतुर्थी। वहीं, दूसरा है माघी गणेश चतुर्थी। इस साल माघी गणेश चतुर्थी 28 जनवरी को मनाई जाएगी। 

माघी गणेश चतुर्थी माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथी में मनाया जाती है। इसे गणेश जयंती भी कहा जाता है। वहीं, माघ महीने में होने के कारण इसे माघी गणेश चतुर्थी कहा जाता है। इस मौके पर मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में 25 जनवरी से उत्सव की शुरुआत हो गई है। ये 1 फरवरी तक चलेगा।  

माघी गणेश चतुर्थी के दिन पूजा विधि का खास महत्व होता है। माघी गणेश चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले ही स्नान कर लें। स्नान के बाद शुद्ध कपड़े जरूर धारण करें। इसके बाद पूजा स्थान पर भगवान गणेश जी मूर्ति स्थापित जरूर करें। 

इस मंत्र का करें जाप 
माघी गणेश चतुर्थी के दिन पूजा शुरू करने से पहले मंत्र का जाप जरूर करें। ये मंत्र हैं- 
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।        
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंड़्म्।।

इस मंत्र का जाप करने के बाद संकल्प लें। इसके बाद ऊं गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें। वहीं, पूजा के गणेश जी को 11 से 21 लड्डुओं का भोग अवश्य लगाएं। इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराकर ही खुद भोजन करें।  

इस वजह से मनाई जाती है माघी गणेश चतुर्थी
माघी गणेश चतुर्थी को लेकर कई मान्यताएं हैं। अग्नि पुराण में भी इसका वर्णन मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक गणेश तरंगे माघी चतुर्थी पृथ्वी पर आई थी। कहा जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की कृपा मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है।   

महाराष्ट्र के अलावा दक्षिण में भी ये त्योहार मनाया जाता है। दक्षिण भारत में इसके लिए मान्यता है कि इसी दिन गणपति भगवान का जन्म हुआ था। इस त्योहार को तिल कुंड चतुर्थी या फिर माघ विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। 

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