Makar Sankranti 2020: मकर संक्रांति के दिन क्यों खाते हैं खिचड़ी, जानें इसे दान करने और खाने की परंपरा का राज 

व्रत-त्‍यौहार
Updated Jan 14, 2020 | 10:38 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Makar Sankranti khichdi: मकर संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करके गरीबों को दाल और चावल भी दान करते हैं। यहां जानें मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने की पंरपरा कहां से आई... 

Makar Sankranti Khichdi
Makar Sankranti Khichdi  

हर साल मकर संक्रांति का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन खिचड़ी खाने का खास महत्व होता है इसलिए इसे खिचड़ी का पर्व भी कहते हैं। मकर संक्रांति के दिन काली दाल, मटर, गोभी और चावल की मिश्रित खिचड़ी बनायी जाती है। वास्तव में चावल को चंद्रमा का और काली दाल को शनि का प्रतीक माना जाता है। इन सामग्रियों को मिलाकर बनायी गई खिचड़ी बहुत शुभ होती है।

माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने से ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है और व्यक्ति के जीवन में परेशानियां कम आती हैं। कई जगहों पर खिचड़ी से भगवान को भोग लगाया जाता है और भंडारे का आयोजन करके लोगों में प्रसाद स्वरुप बांटा जाता है। खिचड़ी यानी मकर संक्रांति के दिन लोग पवित्र नदी में स्नान करके गरीबों को दाल और चावल भी दान करते हैं। आइये जानते हैं खिचड़ी का महत्व और इसका इतिहास क्या है।

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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बाबा गोरखनाथ ने शुरु की थी परंपरा
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार खिलजी से युद्ध लड़ते हुए नाथ योगी बहुत कमजोर हो गए और उनकी तबियत बिगड़ने लगी। तब बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एक साथ पकाकर पौष्टिक खिचड़ी तैयार करने का आदेश दिया। यही खिचड़ी खाकर नाथ योगियों को तुरंत ऊर्जा मिली और उनकी सेहत में सुधार हुआ। तभी से बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी बनाने की परंपरा की शुरूआत करने का श्रेय दिया जाता है।

गोरखपुर में लगता है खिचड़ी मेला
मकर संक्रांति के दिन गोरखपुर में स्थित गोरखनाथ मंदिर के पास हर साल खिचड़ी मेला लगता है। यह मेला कई दिनों तक चलता है। इस दिन बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। कहा जाता है कि खिचड़ी खाकर जब नाथ योगियों की हालत सुधरी तब उन्होंने खिलजी को युद्ध में परास्त कर उसके आतंक को दूर किया। इसलिए गोरखपुर में मकर संक्रांति को विजय दर्शन पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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जहांगीर को पसंद थी गुजराती खिचड़ी 
खिचड़ी सिर्फ आम लोगों को ही नहीं बल्कि मुगल बादशाहों को भी पसंद थी। आइने अकबरी में सात तरह की खिचड़ी का उल्लेख किया गया है। अकबर की रसोई में भी खिचड़ी बनती थी जिसमें दाल, चावल और घी बराबर मात्रा में होता था। जहांगीर को गुजराती खिचड़ी पसंद थी जो विभिन्न प्रकार के मसाले और मेवे से बनती थी। उस खिचड़ी को लजीजा कहा जाता था।

उत्तर प्रदेश में मूंगदाल की खिचड़ी
खिचड़ी उत्तर प्रदेश का एक मुख्य त्योहार है। इस राज्य में मकर संक्रांति के दिन मूंगदाल की खिचड़ी बनायी जाती है। राजस्थान और गुजरात में बाजरे की खिचड़ी बनायी जाती है। जबकि पश्चिम बंगाल में मूंगदाल को फ्राई करके खिचड़ी बनायी जाती है। तमिलनाडु में मकरसंक्रांति के दिन चावल, मूंगदाल, दूध और गुड़ मिलाकर पोंगल नामक पकवान तैयार किया जाता है।

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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भगवान जगन्नाथ को लगता है भोग
भगवान जगन्नाथ को 56 भोग लगाया जाता है जिनमें से एक भोग खिचड़ी भी है। यही कारण है कि दाल और चावल की बनी खिचड़ी पुरी के जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरुप बांटी जाती है।

विभिन्न धार्मिक मान्यताओं और बादशाहों से जुड़ी होने के कारण खिचड़ी का बहुत महत्व है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाना बहुत शुभ होता है और इससे व्यक्ति स्वस्थ एवं निरोगी रहता है।

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