Masik Shivratri Puja Vidhi: मासिक शिवरात्रि के दिन भोलेनाथ की इस विधि से करें पूजा, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं

मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है।

Masik Shivratri 2021 Puja Vidhi
मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि 
मुख्य बातें
  • मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव के पूजन करने से होती हैं सभी मनोकामनाएं पूर्ण
  • प्रत्येक माह के चतुर्थदशी तिथि को होती है मासिक शिवरात्रि
  • एक वर्ष में होती हैं 12 मासिक शिवरात्रि

Masik Shivratri 2021: हिंदु पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि यानी 14 वें दिन को मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। शिव पूजा के लिए मासिक शिवरात्रि उत्तम दिन माना जाता है। शिव भक्त मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का व्रत रखकर देवों के देव महादेव और माता पार्वती की अराधना करते हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। तो आइए ऐसे में जानते हैं मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि और इससे जुड़ी प्रचलित कथा के बारे में।

मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि (Masik Shivratri Puja Vidhi):

मासिक शिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि कर निवृत्त हो जाएं। इस दिन पूरे शिव परिवार यानि भगवान शिव, माता पार्वती, विघ्नहर्ता भगवान गणेश, भगवान कार्तिक और नंदी की पूजा करनी चाहिए। इसलिए आप किसी मंदिर में जाकर पूजन कर सकते हैं। सबसे पहले आप भगवान शिव का जलाभिषेक कर शुद्ध घी, दूध, शक्कर, शहद, दही आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।

अभिषेक करने के पश्चात् शिवलिंग पर धतूरा, बेलपत्र आदि चढ़ाएं। इसके बाद धूप अगरबत्ती कर शिव पुराण का पाठ करें। इस तरह पूजन करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होंगे और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखते हैं उन्हें पूरे दिन निराहार रहना चाहिए, शाम के समय ही फलाहार किया जा सकता है। फिर अगले दिन व्रत का पारण करें।

मासिक शिवरात्रि से जुड़ी प्रचलित कथा (Masik Shivratri Katha):

पौराणिक मान्यता के अनुसार मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने और पूजन करने से कई प्रकार के दोष समाप्त हो जाते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत को लेकर मान्यता है कि एक बार भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए थे। जिसकी तपिस से देवता भी भयभीत हो उठे और भगवान शिव को मनाने के लिए माता पार्वती से आग्रह किया। माता ने देवों की आग्रह को स्वीकार कर भगवान शिव की अराधना शुरु की।

माता पार्वती की अराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां पार्वती से वर मांगने को कहा, जिस पर माता ने भगवान शिव को शांत होने के लिए कहा। भगवान शिव माता पार्वती के इस निस्वार्थ भाव से पूजा को देख बोले की, देवी आज आपने मानव कल्याण के लिए मेरी पूजा की है। जिसके फलस्वरप मैं वरदान देता हूं जो भक्त इस दिन मेरी अराधना करेगा मैं उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करूंगा। तब से इस दिन मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है।
 

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