मुंबई: रवि प्रदोष व्रत 10 जनवरी को है और यह साल का पहला प्रदोष व्रत का होगा। मुहूर्त 10 जनवरी से शुरू होकर 11 जनवरी तक रहेगा लेकिन 11 को प्रदोष काल नहीं होने की वजह से 10 जनवरी को ही यह व्रत रखा जाएगा। रविवार को पड़ने जा रहा यह रवि प्रदोष व्रत जीवन में सुख, शांति और लंबी आयु प्रदान करने वाला माना गया है। इस दिन देवों के देव महादेव कहे जाने वाले महादेव शिव की पूरे परिवार के साथ विधि-विधान से पूजा की जाती है।
जनवरी और साल 2021 के पहले प्रदोष व्रत की तिथि पौष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को 10 जनवरी, रविवार के दिन शाम 04 बजकर 52 मिनट पर आरंभ हो रही है। यह तिथि 11 जनवरी सोमवार को दोपहर 02 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। 11 जनवरी को प्रदोष काल नहीं है और इसलिए नए साल 2021 का पहला प्रदोष व्रत 10 जनवरी को ही रखा जाएगा।
पूजा मुहूर्त: 10 जनवरी को प्रदोष पूजा के लिए शाम को 02 घंटे 43 मिनट का समय प्राप्त हो रहा है। यदि आप प्रदोष व्रत हैं तो आपको 10 जनवरी को शाम 05 बजकर 42 मिनट से रात 08 बजकर 25 मिनट के मध्य भगवान शिव की पूजा कर लेनी चाहिए। यह प्रदोष पूजा के लिए उत्तम समय है।
प्रदोष व्रत के दौरान लोगों को जो पहला कदम उठाने की जरूरत होती है, वह है सुबह जल्दी उठना, यानी सूर्योदय से पहले और स्नान करना। फिर भगवान शिव की उनकी पत्नी देवी पार्वती के साथ पूजा करना। इस भक्ति समारोह के बाद, भगवान शिव की कथाएं पंडितों या किसी अन्य भक्त द्वारा सुनाई जाती हैं। इसके बाद कुछ मंत्रों का पाठ किया जाता है। इन सभी मंत्रों में सबसे महत्वपूर्ण महा मृत्युंजय मंत्र है। इस श्लोक का एक सौ आठ बार पाठ किया जाता है।
इस पूजा के दौरान एक पानी का पात्र सामने रखा जाता है और शिव के प्रतिनिधि के रूप में पूजा जाता है। इस बर्तन से पानी सभी भक्तों को वितरित किया जाता है। समारोह के साथ समापन करने के लिए भगवान शिव की तस्वीर के सामने रखा कपड़े का एक टुकड़ा और कुछ अन्य उपहार एक ब्राह्मण को भेंट किए जाते हैं।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल