Mokshada Ekadashi: मोक्षदा एकादशी पर इस विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त एवं व्रत कथा 

व्रत-त्‍यौहार
Updated Dec 08, 2019 | 06:30 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Mokshada Ekadashi vrat katha shubh muhurat: मोक्षदा एकादशी पर व्रत रख कर पूजा करने से सभी पापों से मुक्‍ति मिलती है। यहां जानें इसकी व्रत कथा और पूजन विधि। 

Mokshada Ekadashi vrat katha shubh muhurat
Mokshada Ekadashi vrat katha shubh muhurat 

मोक्षदा एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इस दिन पूरे विधि विधान से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है और गीता का पाठ किया जाता है। इसलिए मोक्षदा एकादशी को गीता एकादशी भी कहा जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और व्रत करने वालों के लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं।

यह एकादशी बहुत फलदायी होती है। जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा से नियमानुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत करके भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन पूजन करता है उसे मृत्यु के बाद भी इस व्रत का फल प्राप्त होता है। इसके अलावा यह व्रत करने से व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियां और बाधाएं भी दूर हो जाती हैं।  यही कारण है कि मोक्षदा एकादशी का विशेष महत्व है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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मोक्षदा एकादशी तिथि एवं शुभ मुहूर्त

वर्ष 2019 में मोक्षदा एकादशी 8 दिसंबर को पड़ेगी।
7 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 34 मिनट से मोक्षदा एकादशी व्रत की शुरूआत होगी। 8 दिसंबर को 8 बजकर 29 मिनट तक मोक्षदा एकादशी का व्रत समाप्त हो जाएगा।

मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण 9 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 6 मिनट से 9 बजकर 9 मिनट तक होगा।

मोक्षदा एकादशी पूजा विधि

  • इस दिन प्रातःकाल स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें और उपवास रखकर पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा करें और गीता का पाठ करें।
  • भगवान विष्णु की कथा का वाचन करें और कथा समाप्त होने के बाद भगवान की आरती उतारें।
  • भगवान को भोग लगाएं और प्रसाद वितरित करें।
  • अंत में अपनी श्रद्धा से गरीबों और जरुरतमंदों को दान दें।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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मोक्षदा एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार चंपा नगरी का राजा वैखानस बहुत प्रतापी, धार्मिक और चारों वेदों का ज्ञाता था। एक दिन उसने स्वप्न देखा कि उसके पिता नर्क में यातनाएं झेल रहे हैं। राजा ने सुबह अपनी पत्नी से उस स्वप्न के बारे में बताया। तब राजा की पत्नी ने आश्रम जाकर गुरुओं से सलाह लेने के लिए कहा। आश्रम जाकर राजा वैखानस ने पर्वत मुनि को सारा वृतांत सुनाया। तब पर्वत मुनि ने राजा से कहा कि तुम्हारे पिता ने अपनी दूसरी पत्नी के कारण तुम्हारी मां को बहुत यातनाएं दी थी। इस कारण उन्हें भी नर्क में यातनाएं मिल रही हैं। अगर तुम मोक्षदा एकादशी का व्रत करो तो तुम्हारे पिता को इससे मुक्ति मिल सकती है। तब राजा ने पूरे विधि विधान से मोक्षदा एकादशी का व्रत किया जिसके बाद राजा वैखानस के पिता को स्वर्ग की यातनाओं से मुक्ति मिल गयी।

यही कारण है कि लोग अपने सभी बुरे कर्मों में मुक्त होने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए मोक्षदा एकादशी का व्रत करते हैं।

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