हिंदी पंचांग के मुताबिक प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार आता है। ये एक बार शुक्ल पक्ष और दूसरी बार कृष्ण पक्ष की त्रयोदषी को मनाया जाता है। आज यानी 19 मई को प्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। हिंदू मान्यातों के अनुसार, इस व्रत में भगवान शिव की पूजा करने से सभी पापो का नाश होता है और सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यहां जानें इस व्रत को करने की पूजा विधि, इसका महत्व और प्रदोष व्रत की कथा...
प्रदोष व्रत का महत्व
जैसा कि नाम से ही पता चलता है, प्रदोष व्रत से आपके सभी दोष दूर हो जाते हैं। अगर आपके मन को पूजा-पाठ करने से शांति और खुशी नहीं मिल रही है तो प्रदोष व्रत करें। प्रदोष व्रत करने और इस दिन दान-पुण्य से आपको जरूर फल की प्राप्ति होगी। कहा जाता है कि प्रदोष व्रत करने से अविवाहित लोगों की शादी भी हो जाती है। साथ ही इससे सभी तरह के रोग दूर होते हैं।
प्रदोष व्रत की कथा
धार्मिक मान्यतों के मुताबिक प्रदोष व्रत में शाम को शिव- पार्वती की पूजा करनी चाहिए। आप दोनों वक्त आराधना कर सकते हैं। वीडियो में प्रदोष व्रत की सुनें...
प्रदोष व्रत की विधि
अगर आप भी प्रदोष का व्रत रख रहे हैं तो आपको सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। फिर नित्य क्रम करें। सुबह नहाने के बाद साफ और सफेद रंग के कपड़े पहनें। व्रत में किसी भी प्रकार का आहार ना खाएं। अपने घर के मंदिर को साफ पानी या गंगा जल से शुद्ध करें। उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और शिव जी व पार्वती माता की पूजा करें। दूध-दही, पंचामृत, फल-फूल इत्यादि चढ़ाएं और दीपक जलाएं। पूजा में 'ऊँ नम: शिवाय' का जाप करें और जल चढ़ाएं। प्रदोष व्रत में लोहा, तिल, काली उड़द जैसी चीजों का दान करें।
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