Safla Ekadashi: सफला एकदाशी के दिन इस विधि से करें पूजन, सफलता चूमेगी कदम

व्रत-त्‍यौहार
Updated Dec 22, 2019 | 07:42 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Safla ekadashi puja vidhi: सफला एकादशी के दिन श्रीहरि की कृपा की भौतिक संपन्नता मनुष्यों को मिलती है। इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने से मनुष्य को अपने जीवन में खुशहाली और सफलता मिलती है।

safla ekadashi
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मुख्य बातें
  • हिंदू धर्म में एकादशी को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है
  • हिंदू धर्म में हर एकादशी का महत्वपूर्ण मानी जाती है
  • एकादशी के दिन सुबह उठकर विधि पूर्वक श्री हरि का पूजन और मंत्र जप करें

हिंदू धर्म में एकादशी को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने से घर में सुख और शांति का वास होता है। वैसे तो हिंदू धर्म में हर एकादशी का महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन पौष माह में पड़ने वाली सफला एकादशी को व्रत रखना और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना स्वास्थ्य और धन के लिए काफी लाभकारी मानी जाती है। 

व्रत को करने से सफलता चूमती है कदम
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सफला एकादशी के दिन श्रीहरि की कृपा की भौतिक संपन्नता मनुष्यों को मिलती है। इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने से मनुष्य को अपने जीवन में खुशहाली और सफलता मिलती है। इस वर्ष सफला एकादशी 22 दिसंबर को है। 

इस विधि से करें एकादशी के दिन श्री हरि को प्रसन्न

  • एकादशी के दिन सुबह उठकर विधि पूर्वक श्री हरि का पूजन और मंत्र जप करें। 
  • पूजन के दौरान सबसे पहले श्रीहरि के माथे पर सफेद चंदन का टीका करें। 
  • तत्पश्चात श्रीहरि को फूल, मौसमी फल और पंचामृत अर्पित करते हुए हाथ जोड़ें। 
  • इसके बाद 108 बार "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप करें।
  • सुबह पूजा करने के बाद शाम को भी श्रीहरि के सामने दीप जलाएं।

एकादशी के दिन श्री हरि को अर्पित करें ये खास चीजें

  • अपनी सुरक्षा और संपन्नता के लिए श्रीहरि को एकादशी के दिन कुछ चीजें अवश्य अर्पित करें।
  • करियर में सफलता पाने के लिए हरि को रेशम का पीला धागा या वस्त्र अर्पित करें। 
  • अगर, आप हरि को धागा अर्पित कर रहे हैं तो बाद में इसे पूजा स्थान से उठाकर अपने दाहिने हाथ में बांधे।
  • महिलाओं को श्रीहरि पर अर्पित किया गया धागा बाएं हाथ में बांधना चाहिए।

सफला एकादशी की व्रत कथा 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि महिष्मान नाम के राजा के चार पुत्र थे। राजा का सबसे बड़ा पुत्र लुम्पक महापापी था। राजा को उसे कुकर्मों का पता लगा तो उन्‍होंने अपने राज्य से लुम्पक को निकाल दिया। लेकिन लुम्‍पक समझा नहीं और उसने अपने पिता की नगरी में चोरी करने की ठान ली। वो दिन में राज्य से बाहर रहता था और रात में जाकर चोरी करता था।

उसके पाप बढ़ते जा रहे थे अब वो लोगों को नुकसान भी पहुंचाने लगा था। जिस वन में वो रहता था, वहां वो एक पीपल के पेड़ के नीचे रहता था। पौष माह की दशम तिथि के दिन वो ठंड से बेहोश हो गया। अगले दिन जब उसे होश आया तो कमजोरी के कारण वो कुछ भी नहीं खा पाया और आस पास मिले फल उसने पीपल की जड़ में रख दिए। इस तरह से अनजाने में उससे एकादशी का व्रत पूरा हो गया।

एकादशी के व्रत से भगवान प्रसन्न होते हैं और उसके सभी पाप माफ कर देते हैं। जब उसे पता चलता है कि तो लुम्‍पक को भी गलती का एहसास होता है और राजा उसको वापस अपना लेते हैं।

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