20 जनवरी को पड़ने वाली षटतिला एकादशी तिल से जुडी एकादाशी होती है। इसलिए इस दिन तिल से पूजा, दान और खाने का विशेष महत्व होता है। षटतिला एकादशी के नियम एक दिन पहले यानी दशमी से ही पालन करने चाहिए। एकादशी के दिन तिल के छह प्रयोग होते हैं और यही कारण है कि इस एकादशी का नाम षटतिला एकादशी पड़ा है।
इस एकादशी के दिन तिल से स्नान, तिल का उबटन लगाना, तिल से हवन, तिल से तर्पण, तिल का भोजन और तिलों का दान किया जाता है। इस दिन जो भी तिल के ये उपायोग कर लेता है उससे भगवान विष्णु विशेष प्रसन्न होते हैं। षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
षटतिला एकादशी का क्यों है इतना महत्व
षटतिला एकादशी पर किया गया दान और तिल का प्रयोग बैकुंठ का भागी बनाता है। इस दिन तिल के छह प्रयोग करने से भगवान विष्णु बेहद प्रसन्न होते हैं और मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। तिल का दान महादान माना गया है। इसलिए इस एकादशी पर तिल का खाने-पीने, पूजा करने, नहाने से लेकर हवन और दान में प्रयोग करना विशेष रूप से जरूरी होता है। ये परिवार के कल्याण और सुख-शांति के लिए जरूरी है।
ये हैं षटतिला एकादशी व्रत के नियम
याद रखें कि केवल एकादशी नहीं, दशमी के दिन से ही आपको व्रत के नियमों का पालन करना शुरू कर देना होगा।
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