Shattila Ekadashi Niyam: तिल के 6 प्रयोग से लेकर चावल न खाने तक - ये हैं षट त‍िला एकादशी के खास न‍ियम

षटतिला एकादाशी (Shattila Ekadashi) अपने नाम के ही अनुरूप होता है। इस दिन तिल का छह प्रकार के प्रयोग किए जाते हैं। इस एकादशी का नियम (Rules) पालन करना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि इसके बिना व्रत फलदायी नहीं होता।

Shattila Ekadashi Niyam
Shattila Ekadashi Niyam  |  तस्वीर साभार: Instagram
मुख्य बातें
  • दशमी की रात को अन्न ग्रहण नहीं करें
  • गाजर, गोभी और शलजम खाने से बचें
  • मसूर की दाल और लहसून-प्याज वर्जित है

20 जनवरी को पड़ने वाली षटतिला एकादशी तिल से जुडी एकादाशी होती है। इसलिए इस दिन तिल से पूजा, दान और खाने का विशेष महत्व होता है। षटतिला एकादशी के नियम एक दिन पहले यानी दशमी से ही पालन करने चाहिए। एकादशी के दिन तिल के छह प्रयोग होते हैं और यही कारण है कि इस एकादशी का नाम षटतिला एकादशी पड़ा है। 

इस एकादशी के दिन तिल से स्नान, तिल का उबटन लगाना, तिल से हवन, तिल से तर्पण, तिल का भोजन और तिलों का दान किया जाता है। इस दिन जो भी तिल के ये उपायोग कर लेता है उससे भगवान विष्णु विशेष प्रसन्न होते हैं। षटतिला एकादशी  के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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षटतिला एकादशी का क्यों है इतना महत्व
षटतिला एकादशी पर किया गया दान और तिल का प्रयोग बैकुंठ का भागी बनाता है। इस दिन तिल के छह प्रयोग करने से भगवान विष्णु बेहद प्रसन्न होते हैं और मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। तिल का दान महादान माना गया है। इसलिए इस एकादशी पर तिल का खाने-पीने, पूजा करने, नहाने से लेकर हवन और दान में प्रयोग करना विशेष रूप से जरूरी होता है। ये परिवार के कल्याण और सुख-शांति के लिए जरूरी है।

ये हैं षटतिला एकादशी व्रत के नियम

  1. यदि आप षटतिला एकादशी का व्रत रखने जा रहे तो दशमी के दिन से ही व्रत में वर्जित चीजों का परहेज करें। व्रत के एक दिन पहले से सात्विक जीवन जीएं।
  2. व्रत के एक दिन पहले रात्रि भोजन का त्याग कर दें। सूर्यास्त के बाद अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। साथ ही रात में सोते समय भगवान विष्णु का ध्यान करें। 
  3. व्रती जनों को एकादशी स्नान के दिन अपने स्नान वाले जल में तिल और गंगाजल डाल कर स्नान करना जरूरी होता है। तिल के प्रयोग की शुरुआत स्नान जल से ही होती है। 
  4. दशमी और एकादशी के दिन यदि आप व्रत नहीं रख रहे तो भी आपको खाने में मांस-मछली, लहसुन-प्याज और मसूर की दाल का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए। 
  5. सब्जियों में आपको दशमी और एकादशी दोनों ही दिन गाजर, शलजम, गोभी और पालक के साथ ही हर उस सब्जी का त्याग करना चाहिए जिसके अंदर बीज होता हो, जैसे बैगन, परलव आदि। 
  6. हर गृहस्थ को दशमी की रात्रि से ही पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा भोग-विलास की वस्तुओं से दूर रहना चाहिए। तभी व्रत का फल प्राप्त होगा। 

याद रखें कि केवल एकादशी नहीं, दशमी के दिन से ही आपको व्रत के नियमों का पालन करना शुरू कर देना होगा। 
 

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