हिंदू पंचाग के अनुसार एक साल में 24 एकादशी मनाई जाती है। हर महीने में दो बार एकादशी मनाई जाती है, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। फरवरी महीने की पहली एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। भारत के विभिन्न प्रांतो में षटतिला एकादशी को षटतिला एकादशी और षटिला एकादशी भी कहा जाता है।
इस साल 7 फरवरी को षटतिला एकादशी मनाई जाएगी। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु षटतिला एकादशी के दिन अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। यहां जानिए षटतिला एकादशी का महत्व, तिथि, मुहुर्त और पूजा सामग्री।
षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से और गरीबों को दान देने से लाभ मिलता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। कहा जाता है कि जो इंसान इस दिन दान-पुण्य के कार्यों में लीन रहता है। उसके ऊपर भगवान विष्णु की कृपा सदेव बनी रहती है। षटतिला एकादशी के दिन जरूरतमंदों को भोजन भी करवाना चाहिए।
एकादशी प्रारंभ: - 07 फरवरी 2021 (रात 06:26 से लेकर)
एकादशी समाप्त: - 08 फरवरी 2021 (रात 04:47 तक)
पारण की तिथि: - 08 फरवरी 2021
पारण का मुहुर्त: - दोपहर (01:42 से 03:54 तक)
भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र, फूल, फूलों की माला, नारियल, सुपारी, अनार, आंवला, लौंग, बेर, बाकी ऋतुफल, धूप, दीप, घी, पंचामृत, अक्षत, तुलसी दल, लाल चंदन, मिठाई और 108 गोबर के पिंडी का।
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