अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता है। इस दिन माता अपने पुत्र की लंबी आयु और उनकी समृद्धि के लिए अहोई अष्टमी का व्रत करती हैं। यह पूजा कार्तिक मास में पड़ने वाले अष्टमी को मनाया जाता है। इस व्रत को कार्तिक कृष्ण अष्टमी के नाम से भी जाना जाता हैं। इस पूजा की ऐसी मान्यता है कि अगर माता अपने पुत्र के लिए यह व्रत श्रद्धा भाव के साथ करती है, तो अहोई मां उन पर प्रसन्न होकर उनके बच्चों की सलामती का आशीर्वाद देती है। इस व्रत में अहोई माता के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा की जाती है। इस दिन मां अपने बच्चे के दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती है और रात में तारों को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं। आपको बता दें कि यह व्रत नि:संतान स्त्रियां भी संतान प्राप्ति हेतु करती है। यहां आप देख सकते है अहोई अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त, व्रत कथा और पूजा विधि।
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