रविवार 8 नंवबर को अहोई अष्टमी का व्रत मांए अपनी संतान के लिए रखेंगी। इस दिन निर्जला व्रत कर मां अहोई मईया से अपनी संतान की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए प्रर्थाना करती हैं। इस दिन एक खास रस्म मुख्य रूप से हर मां करती है। अहोई अष्टमी के दिन माताएं अपने गले में स्याहु की माला भी धारण करती हैं। इस स्याहु माला के पीछे एक रहस्य छुपा होता है। ये स्याहु माला किस चीज की होती है, इसे कब धारण करते हैं और इसे धारण करने के पीछे मान्यता क्या है, आइए आपको इससे जुड़ी संपूर्ण जानकारी दें।
अहोई अष्टमी के दिन सुबह ही स्नान-ध्यान कर माताएं अपनी संतान के लिए निर्जला व्रत का पालन करती हैं। अहोई माता की विधिवत पूजा करने के बाद स्याहु माला धारण की जाती है। स्याहु की माला में चांदी के दाने और अहोई मईया की लॉकेट होती है। ये चांदी के दाने संतान की संख्या के अनुसार एक दो या उससे अधिक बनाई जाती है।
क्यों पहनी जाती है स्याहु माला (Syau Mala Kyu Pahani Jati Hai)
अहोई अष्टमी पर संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखा जाता है। कार्तिक मास में आने वाली अष्टमी पर संतान की रक्षा और उनकी मंगलकामना के निमित्त माताएं निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन अहोई देवी की पूजा की जाती है। व्रत पूजा के साथ एक खास चीज इस पूजा में बकहुत मायने रखती है वह है स्याहु। स्याहु संतान की संख्या के आधार पर बनता है और उसे मौली में देवी अहोई की लॉकेट के साथ माताएं धारण करती हैं।
स्याहु चांदी से बनता है। अष्टमी के दिन स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध व पके हुए चावल से की जाती है। पूजा के बाद माताएं इसे अपने गले में पहनती हैं। इस माला को अष्टमी के दिन धारण करने के बाद दिवाली तक लगातार पहने रहना होता है। दिवाली वाले दिन जब अहोई अष्टमी के दिन जल भरे करवा से ही संतान जब स्नान कर लेती है तब माताएं स्याहु को निकला कर सुरक्षित रख देती हैं।
इसलिए मानी गई है स्याहु खास (Syau Mala importantance)
स्याहु की माला में एक खास बात और ये होती है कि इस माला में हर साल एक दाना बढ़ा कर पहना जाता है। दीवाली के बाद इस माले को पूजा स्थल या किसी पवित्र स्थान पर निकाल कर रखा जा सकता है। स्याहु संतान का प्रतीक माना जाता है और इसे चांदी के रूप में देवी अहोई के साथ धारण करने के पीछे मान्यता यही है कि देवी संतान की रक्षा करेंगी। इससे संतान की आयु भी बढ़ती है।
अहोई अष्टमी के दिन रात में माताएं तारे को अर्घ्य देकर संतान की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके बाद महिलाएं व्रत खोलती हैं। इस दिन मान्यता है कि यदि कोई नि:संतान महिला भी व्रत करे तो इससे उसे संतान की प्राप्ति होती है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल