कोविड-19 महामारी ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस महामारी ने हर क्षेत्र पर असर डाला है। खेल जगत भी इससे अछूता नहीं है। यहां हम सिर्फ किसी टूर्नामेंट के स्थगित या रद्द होने की बात नहीं कर रहे, बल्कि कुछ खिलाड़ियों की बिगड़ती हालत व आर्थिक स्थिति की बात कर रहे हैं। बेशक क्रिकेट जैसे खेल के अधिकतर खिलाड़ियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा लेकिन कुछ अन्य खेलों के कुछ ऐसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं जो आए दिन अपनी स्थिति सार्वजनिक रूप से बयां करने पर मजबूर हैं। इस कड़ी में ताजा नाम राधा ठाकुर का है।
जिला बैडमिंटन चैंपियन राधा ठाकुर एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं और कम उम्र में काफी तेजी से उन्होंने अपने कदम भी आगे बढ़ाए थे। वो भारतीय बैडमिंटन की भविष्य की रणनीति में अहम योगदान दे सकती हैं, लेकिन फिलहाल वो अपने घर की स्थिति और रोजाना सामने आने वाले संघर्ष को ही झेल लें तो काफी है। दरअसल, कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन ने इस बैडमिंटन खिलाड़ी की आर्थिक स्थिति बहुत खराब कर दी है और उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है।
रैकेट बेचने की आई स्थिति
राधा ठाकुर की मौजूदा आर्थिक हालत कुछ ऐसी है कि वो अपनी सबसे 'बेशकीमती चीज' बैडमिंटन रैकेट बेचने की कगार पर हैं। राधा की हालत ऐसी हो गई कि उन्हें आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम से मदद की अपील करनी पड़ी है। उन्होंने कहा, 'मैं सात बार की जिला चैंपियन हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों ही महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देते आए हैं। मेरी उनसे गुजारिश है कि वे हमारी स्थिति को देखें। मुझे आपकी मदद की जरूरत है। और मुझे पूरा विश्वास है कि आप मदद करेंगे।'
पिता-भाई की नौकरी गई
राधा ने बताया, 'लॉकडाउन के दौरान मेरे पिता और भाई की नौकरी चली गई। हमारे परिवार का कोई और कमाई का जरिया नहीं है। हमारी पूरी बचत भी खत्म हो गई है। कोई हमें उधार भी नहीं दे रहा है। अब आखिरी विकल्प रैकेट बेचना ही दिख रहा है जो हजार-दो हजार रुपये दिला सकते हैं। ये सिर्फ परिवार को दो-तीन दिन तक खाना मुहैया करा सकता है।'
हर टूर्नामेंट में 5000 से 6000 तक खर्च
अपनी दिक्कतों में बारे में आगे बात करते हुए राधा ठाकुर ने कहा, 'हर टूर्नामेंट में मेरे 5 से 6 हजार रुपये लगते हैं, चाहे वो राष्ट्रीय स्तर हो या फिर राज्य स्तर का कोई टूर्नामेंट। मेरा परिवार फिर भी किसी तरह मेरे लिए उस रकम का इंतजाम करता है। मेरे पिता एक मजदूर हैं। इतनी दिक्कतों के बाद भी मेरा परिवार मुझे खेलने के लिए प्रोत्साहित करता है।'
राधा की मां ने भी दिया बयान
राधा की मां बिनेश देवी ने कहा, 'हम दोनों (माता-पिता) अपनी हैसियत के हिसाब से जितना हो सकता है आगे बढ़ने में उसकी मदद करते हैं। वो हमें गौरवान्वित महसूस कराती है। हमने उससे कहा है कि वो आगे बढ़े और खेले, हम सब कुछ देख लेंगे।'