ओहियो: ओहियो के जियोन क्लार्क। कहते हैं न कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। यह बात ओहियो के जियोन क्लार्क बखूबी साबित करते हैं। आनुवंशिक विकार के कारण जियोन का जन्म बिना पैरों के हुआ। हालांकि, उन्होंने सभी विपरीत परिस्थितियों को पीछे छोड़ा और आज एक प्रो फ्रीस्टाइल रेसलर बन चुके हैं। क्लार्क कॉडल रिग्रेशन सिंड्रोम से पीड़ित हैं, यह ऐसा विकार है, जो निचली रीढ़ के विकास को बाधित करता है। हर 1,00,000 जन्मों में से लगभग पांचवां हिस्सा स्थिति से प्रभावित होता है।
युवा उम्र में जियोन को पालन घर में लाया गया, लेकिन फिर पालक मां किम्बर्ली ने उन्हें अपनाया। जियोन को इस स्थिति के लिए कई बार मजाक झेलना पड़ा। मगर इससे वह अपने लक्ष्य से नहीं भटके। दूसरी क्लास से ही उन्होंने एथलेटिक्स शुरू की और रेसलिंग में अपनी रूचि बढ़ाई।
यूएनआईएलएडी के हवाले से जियोन ने कहा, 'लोग मेरा मजाक उड़ाते थे क्योंकि मेरे पैर नहीं थे। नफरत करने वालों से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है कि खुद से ऊपर उठने के लिए नफरत का इस्तेमाल किया जाए। नफरत करने वाले आपके सबसे बड़े प्रशंसक होते हैं- इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करें।'
जियोन ने कहा कि जब उन्होंने रेसलिंग शुरू की तब उन्हें नहीं पता था कि विरोधियों के साथ क्या करना है। कुछ बच्चे तो उनके साथ पहलवानी करने से डरते थे। मगर यह भावना दोनों तरफ से थी। मगर कई ट्रायल और त्रुटियों के साथ जियोन ने रेसलिंग को अपनाया और पिछले कुछ सालों में अपनी शैली में काफी सुधार किया।
रेसलिंग में आने से जियोन का स्कूली अनुभव भी अच्छा बना। आज वो एक प्रो फ्रीस्टाइल रेसलर हैं, जो दिन में दो बार ट्रेनिंग करते हैं और अच्छे आकार में रहने के लिए वो सप्ताह में छह दिन ट्रेनिंग करते हैं। जियोन ने कहा, 'सबसे बड़ा पाठ जो मैंने सीखा वो ये है कि हर चीज आपके मुताबिक नहीं हो सकती। आपके पास जो है, उसके साथ आपको काम करना होगा। एक बार आपकी आदत हो गई कि जो है, उसके साथ काम करते आ गया तो फिर कई रास्ते खुल जाते हैं।'
22 साल के जियोन ने कहा कि वह अपनी पालने वाली मां किम्बर्ली का काफी सम्मान करते हैं, जो हमेशा उनके साथ खड़ी रही और उन्हें सफलता प्राप्त करने में मदद की।