भंवर पुष्पेंद्र, जयपुर: टोक्यो पैरालंपिक में भाला फेंक एथलीट देवेंद्र झाझरिया ने भले ही स्वर्ण पदक ना जीता हो लेकिन 40 वर्ष की उम्र में चांदी पर निशाना लगाकर अपने देश का नाम रोशन कर दिया। लगातार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने वाले झाझरिया ने सोमवार को जन्माष्टमी पर्व पर जैसे ही रजत पदक जीता तो उनके गांव और सादुलपुर शहर सहित जिलेभर में लोगों ने मिठाई वितरण कर खुशी मनाई। वहीं उनके गांव में महिलाओं ने लोकगीत गाकर अपनी खुशी जाहिर की। इसके अलावा गांव के लोगों ने जमकर आतिशबाजी की।
देवेंद्र के भाई जोगिंदर सिंह ने बताया कि लगातार पैरा ओलंपिक खेलों में दो बार स्वर्ण पदक जीतने वाले देवेंद्र झाझरिया इस बार रजत पदक जीता है तथा यह है खुशी उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है लगातार 7 घंटे तक अभ्यास करने एवं देश के तिरंगे को विश्व में फहराने के सपने को साकार किया है। गौरतलब है कि झाझरिया 2004 एथेंस पैरालंपिक के एफ-46 वर्ग में अपना पहला गोल्ड मेडल जीतने में कामयाबी हासिल की थी।
इसके बाद साल 2016 में आयोजित रियो ओलंपिक में भी देवेंद्र झांझरिया ने अपने प्रदर्शन को दोहराकर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। झाझरिया 2004 एथेंस पैरालंपिक के एफ-46 जानकारी के अनुसार देवेंद्र जब नौ साल के थे तब उनका एक हाथ बिजली के झटके के कारण गंभीर तरीके से प्रभावित हो गया था। जब देवेन्द् अपने स्कूल में भाला फेंकना शुरू किया तो देवेन्द् को लोगों के ताने झेलने पड़े।