नई दिल्ली : देशभर में फैलते कोरोना वायरस को रोकने के लिए सरकार ने आरोग्य सेतु ऐप लॉन्च किया था। ताकि लोग अपने मोबाइल फोन में डाउनलोड करके अपने सेहत पर निगरानी रख सके। लेकिन इस ऐप को लेकर विपक्षी दलों ने सवाल उठाया और कहा कि इससे लोगों के निजता खतरे में पड़ गई है। इससे लोगों की निगरानी की जा रही है। इसके बाद सरकार ने आरोग्य सेतु में निजता को लेकर उठाई जा रही चिंताओं को देखते हुए मंगलवार को इसके स्रोत कोड को सॉफ्टवेयर विकसित करने वाले समुदाय की ओर से जांच - परख के लिए खोलने की घोषणा की। सरकार ने इसके साथ ही इसमें खामियों का पता लगाने वाले को बड़ी राशि का पुरस्कार देने का भी एलान किया है। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि दुनिया में कोई भी अन्य सरकार इस पैमाने पर इतना खुला रुख नहीं अपनाती है।
ऐप में खामी का पता लगाने वाले को मिलेगा इनाम
नेशनल इंफोमेटिक सेंटर की महानिदेशक नीता वर्मा ने कहा कि इस ऐप में खामी का पता लगाने वाले लोगों के लिए 4 कटैगरी के पुरस्कार रखे गए हैं। इसमें खामी का पता लगाने और इसके कार्यक्रम सुधार के सुझाव देने वालों के लिए यह पुरस्कार रखे गए हैं। वर्मा ने कहा कि सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशीलता को लेकर 3 कटैगरी में प्रत्येक में 1 लाख रुपए का पुरस्कार रखा गया है जबकि कोड में सुधार के सुझाव के लिए एक पुरस्कार 1 लाख रुपए का रखा गया है। आरोग्य सेतु ऐप 2 अप्रैल 2020 को जारी की गई और वर्तमान में करीब 11.5 करोड़ लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
आरोग्य सेतु ऐप को लेकर ये है आरोप
कोरोना वायरस महामारी से लोगों को सतर्क करने के लिए आरोग्य सेतु ऐप की शुरुआत की गई। लेकिन कुछ लोगों ने इस ऐप के जरिए लोगों के निजी डेटा जुटाए जाने और उनकी निजी जिंदगी के बारे में तांक झांक करने का आरोप लगाया। सरकार ने इन्हीं चिंताओं का समाधान करने के लिए यह कदम उठाया है। इस ऐप के स्रोत कोड को खोल दिया गया है।
पारदर्शिता, निजता और सुरक्षा हैं मूल सिद्धांत
अमिताभ कांत ने कहा कि पारदर्शिता, निजता और सुरक्षा ही आरोग्य सेतु डिजाइन के मूल सिद्धांत हैं। इसके स्रोत कोड को डेवलपर समुदाय के लिए खोल दिए जाने से भारत सरकार की इन सिद्धांतों के दायरे में रहते हुए काम करने की प्रतिबद्धता का पता चलता है। दुनिया में कहीं भी कोई अन्य सरकार स्रोत को इतने बड़े पैमाने पर नहीं खोलती है।