नई दिल्लीः कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में है और साल शुरू होने के छह महीने बाद भी कोविड-19 को लेकर स्थिति कुछ खास सुधरी नहीं है। एक तरफ अमेरिका जहां कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है, वहीं भारत में भी कोरोना संक्रमण लगातार तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि सरकार और जनता इसकी रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। देश भर में कोरोनावायरस से अब तक कुल 1.94 लाख लोग स्वस्थ हो चुके हैं, और इसके अनुसार रिकवरी दर 52.96 प्रतिशत है। कोरोना से लड़ने के सबसे कारगर तरीकों में से एक है ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करना, इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने गुरुवार को दूरदराज, दुर्गम क्षेत्रों के लोगों के लिए देश का पहला मोबाइल आई-लैब शुरू किया है। आई-लैब कोविड कमांड स्ट्रेटिजी के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा समर्थित है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने घातक कोरोनावायरस को ट्रेस करने के लिए भारत का पहला मोबाइल आई-लैब लॉन्च किया। संक्रामक रोग डायग्नोस्टिक लैब (आई-लैब) में प्रतिदिन 25 नमूनों की जांच करने की क्षमता है। यह प्रति दिन 300 एलिसा जांच और सीजीएचएस दरों के अनुसार टीबी और एचआईवी के लिए अतिरिक्त जांच भी कर सकता है।
इस खास लैब को ऐसे समय में लॉन्च किया गया है, जब स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश भर में कोरोनावायरस मामलों की संख्या बढ़कर 3,66,946 हो गई है। देश में कोरोनावायरस के सक्रिय मामलों की संख्या 1,60,384 है। कोरोनावायरस जांच लैब्स की संख्या भी 953 तक बढ़ा दी गई है, जिसमें 699 सरकारी और 254 निजी लैब्स शामिल हैं। इन लैब्स में, रियल-टाइम आरटी-पीसीआर आधारित जांच 540 लैब्स में किया जाता है, जिसमें सरकार द्वारा संचालित 349 और निजी क्षेत्रों द्वारा 191 लैब्स शामिल हैं। ट्रूनेट आधारित जांच 325 सरकारी और 15 निजी लैब्स में किया जा रहा है। हालांकि, सीबीएनएएटी जांच 25 सरकारी और 48 निजी लैब्स में हो रहे हैं।
कोरोना काल में हर देश को सबसे ज्यादा जिस चीज का डर सता रहा है, वो है सामुदायिक संक्रमण (Community transmission)। ये संक्रमण का एक ऐसा चरण है जहां वायरस पूरी रफ्तार से फैलता है और पता लगाना नामुमकिन सा हो जाता है कि इसका सोर्स क्या है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कुछ दिन पहले जब अपने बयान में राजधानी के अंदर सामुदायिक संक्रमण के संकेत दिए थे, तब इस पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा था कि फिलहाल भारत उस चरण में नहीं पहुंचा है। तेजी से फैलते संक्रमण के बीच टेस्टिंग की भूमिका और अहम हो जाती है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच करके पॉजिटिव पाए जाने वालों को जल्द से जल्द सही इलाज मिल सके। इसीलिए दूरदराज के इलाकों में टेस्टिंग सुविधा पहुंचाने के नजरिए से मोबाइल आई-लैब एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।