नई दिल्ली: पिछले 10 सालों में हमारे आस पास की तमाम चीजों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। 10 साल पहले हम स्मार्ट लाइट, स्मार्ट टीवी, अलेक्सा और गूगल प्ले जैसे स्मार्ट स्पीकर आदि की कल्पना मात्र करते थे। पिछले कुछ वक्त ये सभी गैजेट्स संभव हो सके हैं। इतना ही नहीं एआर-वीआर, एआई आदि के कारण बहुत सी ऐसी चीजें संभव हो पाई हैं, जो कोरी एक दशक पहले कोरी कल्पना लगती थी।
DeepQuanty आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लैब प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ, डॉ. जयराम के अइयर ने बताया, 'ज्यादातर लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग को एक ही समझते हैं, जबकि ये दोनों अलग अलग हैं। दोनों का हमारे जीवन में पिछले 10 सालों में बड़ा योगदान रहा है और आने वाले वक्त में इनका प्रभाव बढ़ना है। एआई और मशीन लर्निंग दोनों का बीते दशक में हेल्थकेयर, बीएफएसआई और रिटेल हर जगत में प्रभाव बढ़ा है।'
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि एआई/एमएल का इस्तेमाल ई कॉमर्स, मैट्रीमोनी और बैकिंग में लोगों की मदद करने के लिए हो रहा है। इसके अतिरिक्त एआई/एमएल एल्गोरिदम ने हेल्थकेयर में काफी योगदान दिया है। इससे बीमारियों के लक्षण की पहचान और जल्द ही उनका निदान कर पाना संभव हो सका है। एआई इंजन तस्वीरों और टेक्स्ट को समझने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे ड्राइवरलेस कार की परिकल्पना संभव हो पाएगी।
वहीं गार्मिन इंडिया के नेशनल सेल्स मैनेजर, अली रिजवी ने बताया, 'बीते कुछ वर्षों में घड़ियों में बड़ा बदलाव आया है। पिछले 10 सालों में वॉच केवल एक एक्सेसरीज से आवश्यक वियरेबल बन गई है। घड़ी के स्मार्ट होने यानी वॉच में हर्ट रेट मॉनिटरिंग, बॉड़ी बैटरी, हाइड्रेशन लेवल, मज्यूजिक फीचर आदि जुड़ गए हैं, जिसके बाद स्मार्ट वॉच की खासी मांग बढ़ी है। विभिन्न ब्रांड्स सामान्य घड़ी से स्मार्ट वॉच की ओर शिफ्ट हो रही हैं। यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनती जा रही हैं। बाजार में विभिन्न विकल्प भरे हैं और टेक्नोलॉदी दिन-ब-दिन बेहतर होती जा रही है।'
सोशल मीडिया एप हेलो के कंटेंट ऑपरेशन प्रमुख, श्यामांग बरुआ ने बताया, 'Kantar IMRB ICUBE की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एक्टिव इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 50 लाख से ज्यादा है और जल्द ही इनकी संख्या 2.5 करोड़ से ज्यादो हो जाएगी। इस संख्या से साफ है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और इंटरनेट भारतीयों से बीच इन्फॉर्मेंशन ब्रीज यानी पुल का काम कर रहे हैं।'
उन्होंने बताया, 'इस ग्रोथ का एक कारण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का स्थानीय भाषा में उपलब्ध होना है। जून में जारी हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक मराणी भाषा में बड़ी संख्या में इमोशनल कोट्स देखने को मिले हैं, जबकि तमिल भाषा के यूजर्स के बीच मनोरंगन के कंटेंट और तेलुगु यूजर्स के बीच ह्यूमर वाले कंटेंट देखने को मिले हैं। इस ग्रोथ का एक मुख्य कारण डिजिटलाइजेशन है।'