Investigation on Google in UK:गूगल की एडटेक (Adtech ) सर्विस पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं। यूनाइटेड किंगडम की कंप्टीशन एंड मार्केट अथॉरिटी (Competition and Markets Authority)ने गूगल (Google) की एडटेक (Adtech ) पॉलिसी और उसके इस्तेमाल के तरीके को लेकर जांच की घोषणा कर दी है। अथॉरिटी को अंदेशा है कि गूगल ने डिजिटल विज्ञापन के क्षेत्र में अपने वर्चस्व का फायदा उठाया है। ऐसा नहीं है कि गूगल पहरी बार निशाने पर है, इसके पहले यूनाइटेड किंगडम की अथॉरिटी ने मार्च में फेसबुक और गूगल के बीच किए गए डील की जांच करने की बात कही थी। जिसे जेडी ब्लू (Jedi Blue) भी कहा जाता है। इसके अलावा यूरोपीय संघ ने पिछले साल गूगल की एडटेक सेवाओं की जांच करने की बात कही थी। यूके के 2.3 अरब डॉलर के ऑनलाइन विज्ञापन बाजार में गूगल सबसे बड़ा प्लेयर है।
क्या है मामला
कंप्टीशन एंड मार्केट अथॉरिटी द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि वह इस बात की जांच कर रही है कि क्या गूगल ने डिजिटल विज्ञापन में प्रतिस्पर्धा को सीमित कर कानून को तोड़ा है। गूगल डिजिटल विज्ञापन क्षेत्र में एड टेक स्टैक के रूप अहम स्थान रखता है। जिसके जरिए वह प्रकाशकों और विज्ञापनदाताओं दोनों से फीस लेता है। साल 2019 में यूनाइटडेड किंगडम में विज्ञापनदाताओं ने 1.8 अरब डॉलर रुपये ऑनलाइन विज्ञापन पर खर्च किए थे। इतनी भारी भरकम रकम खर्च करने की वजह यह है कि यूनाइटेड किंगडम में बड़ी संख्या में लोग ऑनलाइन कंटेट का इस्तेमाल करते हैं।
जांच पर कंप्टीशन एंड मार्केट अथॉरिटी के मुख्य कार्यकारी एंड्रिया कोसेली ने कहा कहा है कि "हम आशंका हैं कि गूगल एडटेक तकनीक में अपनी मजबूत स्थिति का इस्तेमाल अपने प्रतिद्वंद्वियों को नुकसान पहुंचाने में कर सकता है। जिसका असर उनके ग्राहकों और अंततः उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। ऐसा होने से इस क्षेत्र में कमजोर प्रतिस्पर्धा, प्रकाशकों के विज्ञापन राजस्व को कम कर सकती है। जिससे उन्हें लागत में कटौती करनी होगा या फिर अपने कंटेट को पेवॉल के पीछे रखनाा पड़ सकता है। या फिर कंटेट की गुणवत्ता से समझौता करने के लिए मजबूर होना पड़ा सकता है। यह विज्ञापनदाताओं के लिए लागत भी बढ़ा सकता है।
इन 3 चीजों की अथॉरिटी कर रही है जांच
कंप्टीशन एंड मार्केट अथॉरिटी तीन स्तर पर गूगल की एडटेक प्रैक्टिस की जांच कर रही है। इसके तहत वह डिमांड-साइड प्लेटफॉर्म ,विज्ञापन एक्सचेंज और पब्लिशर एड सर्वर की कार्यप्रणाली की जांच करेगी।
DSP:डिमांड-साइड प्लेटफॉर्म (डीएसपी) पर विज्ञापनदाताओं और मीडिया एजेंसियों को पब्लिशर के विज्ञापन स्थान के बारे में विभिन्न स्रोतों से जानकारी प्रदान की जाती है।
Ad exchanges:दूसरा हिस्सा विज्ञापन एक्सचेंज का है। जो कि पब्लिशर को इन्वेंट्री की बिक्री को ऑटोमेट करने की तकनीक प्रदान करता है। जो डीएसपी से जुड़कर, उनसे नीलामी के लिए बोलियां लेकर विज्ञापन का रियल-टाइम नीलामी करते हैं।
Publisher ad servers: तीसरा और आखिरी हिस्सा पब्लिशर एड सर्वर का होता है। जो कि पब्लिशर की लिस्ट का प्रबंधन करते हैं और यह तय करते हैं कि किसी प्लेटफॉर्म पर कौन सा विज्ञापन दिखाना है। जिसका फैसला विभिन्न एक्सचेंजों से प्राप्त बोलियों और पब्लिशर और विज्ञापनदाताओं के बीच सीधे तौर पर किए गए डील के आधार पर होता है।
अथॉरिटी इसी सिस्टम के तहत यह देखेगी कि क्या गूगल ने एड एक्सचेंज की इंटरऑपरेबिलिटी को सीमित किया है। जिसके लिए , उसने किसी खास थर्ड पार्टी के साथ समझौता कर उसके प्रतिद्वंदी के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल कर दिया है। इसके अलावा अथॉरिटी इस बात की भी जांच करेगी कि क्या गूगल ने अपने पब्लिशर एड सर्वर और उसके डीएसपी का इस्तेमाल कर, गैर कानूनी रुप से अपने ऐड एक्सचेंज सर्विस को फायदा पहुंचाया है।
दूसरे देशों में भी एडटेक प्रैक्टिस को लेकर हो रही है जांच
गूगल लगातार अपनी एडटेक प्रैक्टिस को लेकर सवालों के घेरे में हैं। यूरोपीय संघ ने पिछले साल गूगल की एडटेक सेवाओं की विस्तृत जांच की घोषणा की थी। इसके अलावा फ्रांस का नियामक गूगल के एडटेक तरीकों की जांच अपने स्तर पर कर चुका है। और उसने कंपनी पर 268 मिलियन डॉलर की पेनॉल्टी लगाई थी। इसके बाद गूगल ने नियामक से इंटऑपरेबिलिटी के संबंध में कई बदलाव की बात कही थी।
यूके में गूगल पर शिकंजा ! विज्ञापन प्रैक्टिस की होगी जांच
क्या होता है एड स्टैक (Ad tech stack)
एड स्टैक विभिन्न टेक सॉल्युशंस का सेलेक्शन होता है। जिसमें विज्ञापनदाता, पब्लिशर और कंटेट प्रदाता शामिल होते हैं। जहां पर विज्ञापनदाता खरीदार होते हैं, वहीं ऑनलाइन कंटेट कंपनियां इन्वेंट्री प्रदान करती है। इसी जगह पर एड कैंपेन और यूजर्स को टारगेट किया जाता है। और यह सब एक जगह पर उपलब्ध होता है।