सेप्टिक टैंक को अब साफ करेगा 'होमोसेप', IIT मद्रास ने बनाया अनोखा रोबोट 

IIT Madras : 'होमोसेप' का परीक्षण फील्ड में करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सबसे पहले परीक्षण के लिए 10 रोबोट्स तैयार किए गए हैं। इनका परीक्षण तमिलनाडु की अलग-अलग जगहों पर किया जाएगा।

IIT Madras developes robot to clean septic tanks without human intervention
अभी लोगों को सफाई के लिए सेप्टिक टैंक में उतरना पड़ता है। 

Robot to clean septic tanks : देश में हर साल सेप्टिक टैंकों की सफाई में बड़ी संख्या में श्रमिकों की मौत हो जाती है। इन टैंकों की सफाई मशीन से करने के लिए लंबे समय से उपकरण एवं मशीनें तैयार की जा रही हैं लेकिन अभी तक इसमें पूरी तरह से सफलता नहीं मिल पाई है लेकिन आईआईटी मद्रास ने एक ऐसे मानवरहित रोबोट का निर्माण किया है जो सेप्टिक टैंक की सफाई में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। इस रोबोट का नाम 'होमोसेप' दिया गया है। खास बात यह है कि इसके इस्तेमाल में आ जाने से श्रमिकों-मजदूरों को सफाई के लिए सेप्टिक टैंक में नहीं उतरना पड़ेगा। रोबोट 'होमोसेप' के कई परीक्षण 'लैब' में पूरे हो गए हैं। अब इसका परीक्षण फील्ड में होना है। 'होमोसेप'  रोबोट को ट्रेक्टर की मदद से इस्तेमाल में लाया जाएगा। 

फील्ड परीक्षण के लिए तैयार है 'होमोसेप'
'होमोसेप' का परीक्षण फील्ड में करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सबसे पहले परीक्षण के लिए 10 रोबोट्स तैयार किए गए हैं। इनका परीक्षण तमिलनाडु की अलग-अलग जगहों पर किया जाएगा। परीक्षण की जगह का चुनाव करने के लिए आईआईटी मद्रास के रिसर्चर सफाई कर्मचारियों के साथ संपर्क में हैं। 'होमोसेप' का परीक्षण करने के लिए गुजरात एवं महाराष्ट्र की जगहों पर भी विचार चल रहा है। परीक्षण के क्रम में 'होमोसेप' की दो यूनिटों को सबसे पहले नगम्मा एवं रथ मैरी के स्वयंसहायता समूह को दिया गया है। इन दोनों महिलाओं के पति की मौत सेप्टी टैंक की सफाई करते समय हो गई थी। 

वर्षों की मेहनत के बाद तैयार हुआ है मानव रहित रोबोट
आईआईटी मद्रास के सेंटर फॉर नॉनडिस्ट्रक्टिव इवैल्यूएशन के प्रोफेसर प्रभु राजगोपाल की अगवाई वाली टीम ने वर्षों की मेहनत के बाद इस रोबोट को तैयार किया गया है। इसे बनाने में आईआईटी मद्रास के के अन्य विभागों एवं स्टार्ट अप की मदद ली गई है। इस दौरान रोबोट का निर्माण करने वाली टीम सफाई कर्मियों के साथ संपर्क में रही। टीम को सफाई कर्मचारी आंदोलन (SKA)एनजीओ का भी सहयोग बराबर मिलता रहा। यह एनजीओ मनुष्य के बिना गंदगी की सफाई का अभियान चलाता है।   

ऐसे करेगा काम
इस मशीन में एक रॉड होता है जिसके चारो ओर ब्लेड लगे रहते हैं। यह मशीन सेप्टिक टैंक के अंदर जाकर खुलता है और अंदर की गाद को पानी के साथ मिला देता है। बाद में इस पूरे अवसाद को पंप की मदद से बाहर निकल दिया जाता है। प्रोफेसर प्रभु राजगोपाल के मार्ग दर्शन में अंतिम वर्ष के छात्र दिवांशु कुमार ने पहली बार 'होमोसेप' को तैयार किया। दिवांशु का कहना है कि इसे तैयार करने में करीब तीन साल का समय लगा। वर्ष 2019 में अपने फाइनल ईयर के प्रोजेक्ट में जब उन्होंने इसका प्रोटोटाइप बनाया तब उन्हें काफी सराहना मिली।    


 

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