फेसबुक और इंस्टाग्राम ने उन पोस्ट को तुरंत हटाना शुरू कर दिया है जो महिलाओं को गर्भपात की गोलियों की पेशकश करते हैं। अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के बाद महिलाओं की गर्भपात की गोलियों तक पहुंच खत्म हो सकती है। न्यायालय के इस फैसले से महिलाओं को गर्भपात के मामले में मिला संवैधानिक अधिकार छिन गया है।
इस तरह के सोशल मीडिया पोस्ट का उद्देश्य उन राज्यों में रहने वाली महिलाओं की मदद करना था, जहां गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून शुक्रवार को अचानक से लागू हो गए। इसी के साथ उच्च न्यायालय ने रो बनाम वेड के मामले में 1973 के अपने फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें गर्भपात तक पहुंच को संवैधानिक अधिकार घोषित किया गया था।
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सोशल मीडिया पर मीम और स्टेटस अपडेट बताते हैं कि कैसे महिलाएं कानूनी रूप से मेल के जरिए गर्भपात की गोलियां प्राप्त कर सकती हैं। इनमें से कुछ में इन राज्यों में रहने वाली महिलाओं को नुस्खे भी मेल करने की भी पेशकश की गई थी।
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हालांकि, फैसला आने के लगभग तुरंत बाद फेसबुक और इंस्टाग्राम ने इनमें से कुछ पोस्ट को हटाना शुरू कर दिया। मीडिया इंटेलिजेंस फर्म जिग्नल लैब्स के एक विश्लेषण के अनुसार, गर्भपात की गोलियों के सामान्य उल्लेख वाले तथा मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल (गर्भपात की गोली का चिकित्सकीय नाम) जैसे विशिष्ट संस्करणों का उल्लेख करने वाले पोस्ट ट्विटर, फेसबुक, रेडिट और टीवी प्रसारणों में शुक्रवार सुबह अचानक बढ़ गए। जिग्नल ने रविवार तक ऐसे 250,000 से अधिक उल्लेखों को दर्ज किया।