वॉशिंगटन: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ द्वारा भेजे गए पर्सविरन्स (Perseverance) रोवर की मंगल ग्रह पर सफलापूर्वक लैंडिंग हो गई हैं। रोवर को किसी ग्रह की सतह पर उतारना अंतरिक्ष साइंस में सबसे जोखिम भरा कार्य होता है। पर्सविरन्स ने शुक्रवार तड़के दो बजकर 25 मिनट के करीब मंगल ग्रह की सतह को स्पर्श किया। जैसे ही रोवर ने मंगल ग्रह की सतह को टच किया तो नासा में जश्न का माहौल शुरू हो गया। इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि कहा जा रहा है और इसी के साथ अमेरिका मंगल ग्रह पर सबसे ज्यादा रोवर भेजने वाला दुनिया का पहला देश भी बन गया है।
मिल सकती हैं अहम जानकारियां
छह पहिए वाला यह उपकरण मंगल ग्रह पर उतरकर जानकारी जुटाएगा और ऐसी चट्टानें लेकर आएगा जिनसे इन सवालों का जवाब मिल सकता है कि क्या कभी लाल ग्रह पर जीवन था। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कभी मंगल ग्रह पर जीवन रहा भी था तो वह तीन से चार अरब साल पहले रहा होगा, जब ग्रह पर पानी बहता था। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि रोवर से दर्शनशास्त्र, धर्मशास्त्र और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े एक मुख्य सवाल का जवाब मिल सकता है।
सात मिनट रहे अहम
जैसे ही रोवर ने सफलतापूर्वक लैंड किया तो नासा की लैब में मौजूद हर शख्स खुशी से उछल पड़ा, इसका एक वीडियो भी नासा ने जारी किया है। NASA ने अपने ट्विटर हैंडल पर मंगल ग्रह पर पहुंचे रोवर की फोटो ट्वीट करते हुए Perseverance की ओर से लिखा गया है- 'हेलो दुनिया, मेरे अपने घर से मेरा पहला लुक।'
स्पेस एजेंसी ने रोवर के दूसरी साइड से भी एक तस्वीर साझा की है। नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक रोवर को मंगल की सतह पर उतारने के दौरान सात मिनट का समय सांसें थमा देने वाला रहा क्योंकि इसी अवधि के दौरान Perseverance को लेकर गया स्पेसक्राफ्ट एंट्री कैप्सूल से अलग हुआ।
(मंगल पर उतरता नासा का रोवर)
लैंडर की लैंडिंग की कितनी मुश्किल भरी रही होगी इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि यहां गड्ढे, नुकीली पहाड़ियां और चट्टान थे जिससे बचना सबसे बड़ी चुनौती थी। अगर यहां लैंडर किसी से भी टकराता तो पूरा मिशन फेल हो सकता था।