नई दिल्ली : मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत की ओर तेजी से कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है। सरकार ने मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली ग्लोबल कंपनियों को आकर्षित करना शुरू कर दिया है। इस सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए 50,000 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन योजनाओं के तहत आवेदन आमंत्रित करने का काम शुरू कर दिया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी सचिव अजय प्रकाश साहनी ने कहा कि ये योजनाएं मंगलवार से शुरू हो गई हैं और कंपनियां इस संदर्भ में आवेदन दे सकती हैं। इंफोर्मेशन टैक्नोलॉजी और टेलकॉम मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि भारत शुरू में दुनिया की टॉप मोबाइल बनाने वाली कंपनियों को आकर्षित करना चाहेगा तथा पांच चुनिंदा स्थानीय कंपनियों को बढ़ावा देगा। मंत्री ने कहा कि सरकार अगले कुछ साल में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण सेक्टर में 15 से 20 लाख रोजगार सृजित करने की कोशिश कर रही है। योजना से अगले 5 साल में मोबाइल उत्पादन मूल्य के हिसाब से 8 लाख करोड़ रुपए जबकि निर्यात 5.98 लाख करोड़ रुपए का हो जाने का अनुमान है।
देश में मोबाइल हैंडसेट का उत्पादन 2018-19 में 29 करोड़ इकाई रहा। मूल्य के हिसाब से यह 1.70 लाख करोड़ रुपए का रहा जो 2014 में संख्या में 6 करोड़ यूनिट और मूल्य के हिसाब से 19,000 करोड़ रुपए का था। वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात 2018-19 में बढ़कर 61,908 करोड़ रुपए पहुंच गया जो 2014-15 में 38,263 करोड़ रुपए था। पीएलआई योजना के तहत सरकार सालाना आधार पर बिक्री में वृद्धि पर 4 से 6 प्रतिशत का प्रोत्साहन देगी।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि ग्लोबल स्तर की प्रमुख मोबाइल कंपनियां भारत में अगले 2-3 साल में आएंगी और देश जल्दी ही इस सेक्शन में पहले पायदान पर होगा। उन्होंने कहा कि हमने इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग को पहले पायदान का क्षेत्र बनाने के लिए एक टीम के रूप में काम किया है। आप अगले दो-तीन साल में परिणाम देखेंगे। आप देखेंगे कि दुनिया की टॉप मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां भारत आएंगी। वह न केवल भारत के लिए बल्कि ग्लोबल बाजारों के लिए विनिर्माण करेंगी।
सरकार ने एक अप्रैल को तीन योजनाएं, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और सेमिकंडक्टरों के विनिर्माण की प्रोत्साहन योजना (एसपीईसीएस), संशोधित इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण संकुल (ईएमसी 2) योजना और बड़े आकार के इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण को लेकर उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना अधिसूचित की।
प्रसाद ने कहा कि कुल 50,000 करोड़ रुपए का प्रोत्साहन है। करीब-5-6 बड़ी कंपनियां हैं जो ग्लोबल मार्केट के 80% बाजार पर नियंत्रण रखती हैं। शुरू में हम 5 ग्लोबल कंपनियों का चयन करेंगे जिन्हें पीएलआई (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन) योजना के तहत भाग लेने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि ग्लोबल और स्थानीय कंपनियां साथ मिलकर भारत को विनिर्माण के क्षेत्र में क्षमतावान देश बनाएंगी और ग्लोबल सीरीज को मजबूत करेंगी। हम पांच भारतीय कंपनियों को रष्ट्रीय चैंपियन बनाने को लेकर उन्हें भी बढ़ावा देंगे।
मंत्री ने कहा कि भारत प्रमुख मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग देशों में से एक है और इस सेक्शन में दुनिया की अगुवाई करने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत एक ऐसा भारत होगा जो अपनी क्षमता बढ़ाएगा और मजबूत परिवेश और एक सुदृढ़ आपूर्ति सीरीज बनाएगा जो ग्लोबल अर्थव्यवस्था से जुड़ा होगा। एक आत्म निर्भर मजबूत भारत किसी भी देश के खिलाफ नहीं है।