नई दिल्ली: इन दिनों व्हाट्सएप (WhatsApp) पर भारतीय पत्रकारों और एक्टिविस्ट्स की जासूसी का मामला चरम पर है। इजरायल की एक फर्म के स्पाईवेयर पेगासस (Pegasus)का इस्तेमाल व्हाट्सएप पर भारतीयों की जासूसी के लिए किया गया है। इससे व्हाट्सएप यूजर्स की निजता को लेकर भी तमाम सवाल उठ रहे हैं। इस स्पाईवेयर को इजरायल की कंपनी एनएसओ ग्रुप ने तैयार किया है, जिसे क्यू साइबर टेक्नोलॉजी के नाम से भी जाना जाता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक अटैकर जिस व्यक्ति की जानकारी चाहता है, वह पेगासस का इस्तेमाल करके व्हाट्सएप पर सिर्फ एक मिस्ड कॉल के जरिए यूजर की जानकारी प्राप्त कर सकता है। व्हाट्सएप पर सिर्फ कुछ रिंग्स के जरिए ही पीड़ित के फोन में पेगासस एजेंट को इंस्टॉल किया जा सकता है।
व्हाट्सएप साल 2014 में व्हाट्सएप वॉइस कॉलिंग की सुविधा और साल 2016 में व्हाट्सएप वीडियो कॉलिंग की सुविधा लेकर आया था। मई 2019 में व्हाट्सएप ने पहली बार कॉलिंग फीचर में सेंध लगने की बात कही की था। हालांकि कंपनी ने तुरंत ही इस दिक्कत को दूर कर लिया था। लगभग 5 महीने बाद अक्टूबर में एक बार फिर ये मामला उठा, जब व्हाट्सएप ने एनएसओ ग्रुप के खिलाफ सेंध लगाने की शिकायत दर्ज कराई है।
पेगासस कोई रैंडम स्पाईवेयर नहीं है, जो ऑनलाइन मिल जाता है। एनएसओ ग्रुप की नींव साल 2009 में रखी गई थी, जो इजरायल के बाजार में एक स्पेशल सर्विलांस टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन कंपनी के रूप में है। पेगासस को स्पाई प्रोडक्ट के रूप में जाना जाता है। एनएसओ ग्रुप में 500 कर्मचारी काम करते हैं और साल 2017 में कंपनी अनुमानित आय 1 अरब डॉलर थी।
एनएसओ ग्रुप की वेबसाइट पर दिया गया है कि कंपनी ने सरकारी एजेंसी के लिए ग्लोबल और लोकल थ्रेड की रोकथाम के लिए कई बेस्ट इन क्लास टेक्नोलॉजी विकसित की है। कंपनी ने बताया है, 'हमारे प्रोडक्ट्स आंतक और अपराध के बचने के लिए सरकारी इंटेलिजेंस और लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।'