मुंबई. 26 नवंबर 2008 मुंबई का ताज होटल को जलते हुए पूरी दुनिया देख रही थी। होटल के अंदर गोलियों और ग्रेनेड के धमाके के बीच फंसे मेहमानों की चीख-पुकार इस त्रासदी को बयान कर रही थी। इस सदमे के बीच होटल के तत्कालीन जनरल मैनेजर करमबीर कांग डटे रहे। करमबीर के सामने उनके दो बच्चों और बीवी की लाश थी। इसके बावजूद उन्होंने लीडरशीप की ऐसी मिसाल पेश की कि उनका नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो गया।
26/11 हमले में लश्कर ए तैयबा के चार आतंकियों ने होटल के छठे फ्लोर के कमरे पर आग लगा दी थी। इस कमरे में करमबीर के दो बच्चे उदय (14 साल), समर (5 साल) और वाइफ नीति (40 साल) मौजूद थे। इन तीनों की चीख पुकार होटल में गूंज रही थी।
करमबीर दूसरों की मदद करते हुए फायर ब्रिगेड और पुलिसवालों से अपने परिवार को बचाने की गुहार लगा रहे थे। हालांकि, जब फायर ब्रिगेड की टीम उस कमरे में पहुंची थी तो होटल के बाथरूम में तीनों की लाश मिली।
पिता ने किया फोन
फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक 26/11 हमले के वक्त जब कांग मेहमानों की जान बचा रहे थे तो उन्होंने अपने पिता को फोन किया। उस वक्त उनके पिता बहरीन में था। करमबीर की आवाज रुआंसा हो गई।
करमबीर के पिता ने हौंसला बढ़ाते हुए कहा- आप एक आर्मी जनरल के बेटे हैं। जहां पर हो वहां पर डटे रहो। करमबीर ने कहा- आप कैसे सोच सकते हैं कि मैं छोड़ सकता हूं। अगर सब कुछ खत्म भी हो गया तो मैं यहां पर आखिरी शख्स हूंगा जो डटा हुआ है।
ताज होटल के हैं एरिया डायरेक्टर
करमबीर कांग की सोशल मीडिया प्रोफाइल के मुताबिक वह अमेरिका में ताज होटल्स के एरिया डायरेक्टर हैं। कांग को बहादुरी के लिए कई अवॉर्ड्स मिले हैं। उन्हें साल 2009 में फोर्ब्स मैग्जीन ने पर्सन ऑफ द ईयर चुना था।
करमबीर को साल 2010 में फ्रांस का सबसे बड़ा सम्मान लीजन ऑफ हॉनर से भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने 'ऑफिसर ऑफ नेशनल ऑर्डर ऑफ मेरिट' मेडल से सम्मानित किया।