तमिलनाडु की इलावरासी जयकांत के लिए जीवन कभी भी आसान नहीं रहा, लेकिन संघर्ष कभी भी उन्हें लंबे समय तक नहीं रोक पाया। इलावरासी का परिवार 45 साल पहले केरल के त्रिशूर जिले में रहने आ गया। परिवार की आजीविका मिठाई की बिक्री थी। पढ़ाई करने और शादी के बाद उन्होंने इस रास्ते पर चलना शुरू कर दिया और मिठाई बनाना शुरू कर दिया।
इलावरासी ने अपने परिवार से प्रोडक्ट बेचना सीखा और घर पर मिठाइयां और नमकीन बनाकर उन्हें दुकानों और घरों में बेचा। इलावरसी ने 'द बेटर इंडिया' को बताया, 'एक उद्यमी बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए परिवार के साथ चर्चा के बाद उन्होंने 50 लाख रुपए का लोन लिया और अपनी बचत को मिलाकर 2010 में त्रिशूर में एक सुपरमार्केट खोला।'
वह कम से कम 50 लोगों को रोजगार दे रही थीं। लेकिन 2011 में उनके साथ एक अनहोनी हुई और उनके स्टोर में डकैती पड़ी, जिसके बाद उनका व्यवसाय बंद हो गया। उन्होंने अपना सब कुछ खो दिया। यह उनके लिए बहुत बड़ा झटका था, लेकिन अंततः इलावरासी ने खुद को फिर से खड़ा करने का फैसला किया और सिर्फ 100 रुपए के साथ अपने व्यवसाय का पुनर्निर्माण किया।
विश्वास ने आगे बढ़ाया
उन्होंने Aswathi Hot Chips नाम से अपना बिजनेस शुरू किया, जिसमें वर्तमान में त्रिशूर में चार आउटलेट हैं। यहां विभिन्न प्रकार के चिप्स, अचार और केक मिलते हैं। 2019 में इलावरासी ने अंतरराष्ट्रीय शांति परिषद यूएई पुरस्कार 'सर्वश्रेष्ठ उद्यमी' भी जीता। 2011 के हादसे ने उन्हें झकझोर कर रख दिया था और वह महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहीं। उन्होंने बताया, 'जब मेरा ड्रीम वैंचर बंद हो गया तो मैं मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान हो गई थी। लेकिन फिर भी मैं हार मानने को तैयार नहीं थी। मेरे विश्वास ने मुझे अपने व्यवसाय को फिर से शुरू करने में मदद की, और आज मेरे पास चार स्टोर हैं जहां मिठाई, नमकीन, केक और अचार सहित 60 से अधिक उत्पाद मिलते हैं।
5 लाख से अधिक की इनकम
2012 में उन्होंने त्रिशूर रेलवे स्टेशन के पास एक हॉट चिप्स स्टाल- अश्वती हॉट चिप्स खोला। उन्होंने बताया कि मेरे परिवार की स्वादिष्ट स्नैक्स बनाने की प्रतिभा मुझ में थी, इसलिए मैंने अपने काम को को एक और मौका देने का फैसला किया। एक नए व्यवसाय में पैसा लगाना मुश्किल था, इसलिए मैंने अपना नया उद्यम 100 रुपए से कम में शुरू किया था। कुछ दिनों के भीतर उनके गर्म चिप्स, और वडा ट्रेन यात्रियों के बीच खूब पसंद किए जाने लगे। समय के साथ-साथ राज्य के अलग-अलग हिस्सों के लोग स्टाल पर जाकर खाना शुरू कर दिए। बाद में दुकान पर लंबी-लंबी लाइनें लगने लगीं। इनकम बढ़ने के साथ-साथ उन्होंने अपना लोन चुका और काम भी बढ़ा दिया। वह 5 लाख रुपए से अधिक कमा रही हैं।