Most Dangerous Railway Track in the World: इस दुनिया में खतरनाक चीजों की कमी नहीं है। कई लोगों को इन्हें देखना काफी अच्छा लगता है, तो कुछ लोग इसके बारे में जानकर ही हाय तौबा करने लगते हैं। खासकर, जब बात किसी खतरनाक जगह पर घूमने की हो या फिर खतरनाक रास्तों से यात्रा करने की हो। कुछ लोगों को एडवेंचर करना अच्छा लगता है तो बड़े शौक से इन जगहों पर जाते हैं। जबकि, कई लोग नाम सुनते ही इनसे दूरी बना लेना पसंद करते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही खतरनाक रेलवे ट्रैक के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां लोग 'जान हथेली' रखकर यात्रा करते हैं।
दुनिया में ऐसे कई रेलवे ट्रैक हैं, जो प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ खतरों और रोमांच से भरे हुए हैं। कमजोर दिल वाले इंसान तो इन रूटों पर यात्रा भी नहीं करते। तो आइए, जानते हैं खतरनाक रेलवे रूटों के बारे में...
साल्टा पोलवेरिलो ट्रैक, अर्जेंटीना
साल्टा को चिली पोलवेरिलो से जोड़ने वाला 217 किलोमीटर लंबा ये रेलवे मार्ग है। इस खतरनाक ट्रैक को बनाने में तकरीबन 27 साल लगे थे। आम पब्लिक के लिए साल 1948 से इस रेलवे ट्रैक को चालू किया गया था। ये रेलवे ट्रैक 4,200 की ऊंचाई पर स्थित है। आपको बता दें कि इस ट्रैक के जरिए ट्रेनें 29 पुलों और 21 सुरंगों को पार करती है। इस ट्रैक को काफी खतरनाक माना जाता है।
एसो मियामी रूट, जापान
मिनामी-एसो मार्ग जापान में सबसे चुनौतीपूर्ण रेल पटरियों में आता है, जो माउंट एसो के आसपास के क्षेत्र को पार करता है। साल 2016 में कुमामोटो में भूकंप आने के बाद ट्रैक का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था और तब से इस मार्ग का उपयोग बहुत कम हो गया है। आसपास ज्वालामुखी की सक्रियता इस रेल ट्रैक को विशेष रूप से खतरनाक बनाती है।
चेन्नई से रामेश्वरम रूट
विदेश ही नहीं भारत में एक ऐसा रेलवे ट्रैक है, जहां दिल थामकर लोग यात्रा करते हैं। चेन्नई और रामेश्वरम को जोड़ने वाला चेन्नई से रामेश्वरम रूट दुनिया के सबसे खतरनाक और एडवेंचरस रेलवे ट्रैक में शामिल है। इस रूट का ट्रैक, जिसे पवन ब्रिज कहते हैं, हिन्द महासागर के ऊपर बना हुआ है, जो कि 2.3 किमी लंबा है। इसका निर्माण 1914 में किया गया था।
केपटाउन दक्षिण अफ्रीका
दक्षिण अफ्रीका का केप टाउन की भी गिनती खतरनाक रेल मार्ग होती है। इसके अलावा चोरी और हमले की वारदातों को लेकर भी यह चर्चा में रहता है। यहां की ट्रेन लाइन अक्सर चोरी और हमलों से पीड़ित रहती है, जिसका सीधा असर संचालन को सुचारू रूप से चलाने पर पड़ता है। परिणाम ये होता है कि अक्सर ट्रेनों कई ट्रेनों को कैंसल करना पड़ जाता है।
डेविल्स नोज, इक्वाडोर
यह रेलवे ट्रैक समुद्रतल से करीब 9 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इस ट्रैक का निर्माण कार्य 1872 में शुरू हुआ और 1905 में रेलवे ट्रैक बनकर तैयार हुआ। कहा जाता है कि इसके निर्माण के दौरान सैकड़ों मजदूरों को अपनी जान से हाथ दोना पड़ा था। इसे 'डेविल्स नोज' यानी शैतान की नाक वाली ट्रेन भी कहा जाता है।