परिवार के लिए 'वरदान' साबित हुआ लॉकडाउन, 3 साल बाद मिला लापता बेटा, कर दिया था अंतिम संस्कार

Madhya Pradesh Coronavirus lockdown: एक परिवार के लिए 'लॉकडाउन वरदान' साबित हुआ है। परिवार को 3 साल बाद लापता बेटा मिल गया।

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सांकेतिक फोटो (तस्वीर साभार- unsplash) 

नई दिल्ली: वक्त क्या करवट लेगा किसी को नहीं पता? कब नियति किसको अपने बिछड़े हुए से मिलवा दे? इस संबंध में कुछ भी निश्चित नहीं। देशभर में इस समय लॉकडाउन है और अलग-अलग राज्यों से प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौट रहे हैं। ऐसे में लॉकडाउन मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के एक परिवार के लिए वरदान साबित हुआ है। यहां के छोटे से गांव बिलहारी से लापता एक 15 वर्षीय आदिवासी लड़का अपने घर लौट आया है। लड़का तीन साल पहले लापता हो गया था। इतना ही परिवार ने लड़के को मृत मानकर अंतिम संस्कार तक कर दिया था। लड़के लौटने पर परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है। लड़के नाम उदय है।  उदय ने हरियाणा के गुरुग्राम से किशोरी घर पहुंचने के लिए 600 किलोमीटर का पैदल सफर तय किया।

'भगवान की दया से वापस आ गया'

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, परिवार ने जब लड़के को घर के दरवाजे पर खड़ा देखा दंर रह गया। लेकिन लड़के लौटने के बाद पुलिस की परेशानी बढ़ गई है। दरअसल, पुलिस के सामने सवाल है कि परिवार ने तीन साल पहले जिस कंकाल की पहचान की थी वह किसका है। लड़के के पिता भागोला ने कहा, 'तीन साल पहले हमने एक कंकाल का अंतिम संस्कार किया था और राख को नदी में विसर्जित कर दिया। हमें लगा कि कंकाल उदय का था। लेकिन भगवान की दया से वह अब वापस आ गया है।'

12 साल की उम्र में लापता हुआ था उदय  

उदय 12 साल की उम्र में लापता हुआ था। उसके लापता होने के बाद परिवार ने पुलिस से संपर्क किया। पुलिस ने इस संबंध में जांच शुरू की और कुछ दिनों बाद जंगल में एक क्षत-विक्षत शव मिला। शव पर फटे हुए कपड़े के एक टुकड़े जरिए परिवार ने यह मान कि यह उनका उदय है। उदय के पिता ने स्थानीय मीडिया को बताया, 'शरीर इतनी बुरी तरह से क्षत-विक्षत हो गया था कि यह लगभग एक कंकाल की तरह था। इसकी पहचान करना बहुत मुश्किल था। शव पर कपड़े का एक फटा हुआ टुकड़ा था। यह ऐसा लग रहा था कि उदय का है। क्योंकि उस दिन उदय ने ऐसी ही शर्ट पहने हुए थी।'

पुलिस पुराने मामले को फिर से खोलेगी

पुलिस ने बताय, 'हम तीन साल पुराने मामले को फिर से खोलेंगे। हम पता लगाएंगे कि यहृ कंकाल आखिर किसका था।' पूरा गांव उदय की वापसी का जश्न मना रहा है। उदय ने पुलिस को बताया कि वह अपने परिवार के साथ बहस करने के बाद घर से भागकर दिल्ली में आ गया था। फिर जिंदा रहने के लिए गुरुग्राम में छोटे-मोटे काम करना शुरू कर दिया। लेकिन तीन साल बाद महानगरों से प्रवासी मजदूरों के पलायन के चलते वह गर गया।उदय ने कहा, 'मैंने अपनी नौकरी खो दी और वापस लौट आया। मुझे अपना परिवार याद आ रहा था। इसलिए मैं कुछ अन्य प्रवासियों के साथ चला आया।'

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