नई दिल्ली: महाराष्ट्र के एक नरभक्षी बाघ को अब अपनी बाकी जिंदगी पिंजरे में कैद होकर गुजारनी जिंदगी होगी। इस बाघ ने अक्तूबर 2018 में तीन लोगों की हत्या की थी। बाघ को जंगल में रहने के कई मौके दिए लेकिन उसके बावजूद वह मानव बस्ती में भटकता रहा। यह बाघ भटक कर साल 2018 में महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में आ गया था। कान्हा टाइगर रिजर्व मण्डला के घोरेला बाड़े में रखे गए बाघ को शनिवार को भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान लाया गया। इस नर बाघ की उम्र पांच साल और वजन 180 किलो है।
अभी बाघ को अलग रखा गया है
पीटीआई के मुताबिक, वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि बाघ का नाम सरन रखा गया है। इस बाघ के आगमन के साथ वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में अब 14 बाघ हो गये हैं। अभी इस बाघ को पृथक रखा गया है। उन्होंने कहा कि यह बाघ दिसंबर 2018 में भटक कर बैतूल आ गया था। इस नर बाघ को 11 दिसंबर 2018 को बैतूल जिले के सारणी कस्बे के रिहायशी इलाके से रेस्क्यू किया था और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में छोड़कर इसे प्राकृतिक रहवास में रहने का एक अवसर भी प्रदान किया गया था।
दोबारा रिहायशी क्षेत्र में पहुंच गया
उन्होंने कहा कि बाघ की रिहायशी क्षेत्र में रहने एवं लौटने की प्रवृत्ति के कारण यह दोबारा रिहायशी क्षेत्र में पहुंच गया था। अधिकारी ने बताया कि इसके बाद बाघ को 10 फरवरी 2019 को दोबारा बैतूल जिले के सारणी कस्बे के रिहायशी क्षेत्र से रेस्क्यू किया और कान्हा टाइगर रिजर्व के घोरेला बाड़े में रखा गया। उन्होंने बताया कि इस बाघ को कान्हा टाइगर रिजर्व के सहायक संचालक एवं वन्य-प्राणी चिकित्सक दल द्वारा भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान लाया गया।