नई दिल्ली। कुछ नजारे ऐसे होते हैं कि मन करता है कि वो कभी आंखों से ओझल न हों। उसकी आभा में एक तरफ दिल खुश होता है तो दिमाग को शांति मिलती है। इंसान ने भले ही कितनी तरक्की क्यों न की हो प्रकृति के सामने वो हमेशा बौना ही साबित हुआ है। प्रकृति खुद के लिए समय मुकर्रर करती है जिसमें नो विनाश की झलक दिखलाती है तो जीने की राह भी। आज जब पूरी दुनिया समेत भारत भी कोरोना काल से गुजर रहा है, तो आसमानी छंटा कुछ इस तरह से नजर आई कि दिल खुश हो गया।
आसमां में विहंगम नजारा
पिछले दो दिन से दिल्ली और एनसीआर में लोगों का गरमी से राहत मिली है। इंद्र देव मेहरबान है, सूर्य देवता आंखमिचौली कर रहे थे तो वरुण ने अपने पंख फैलाए और लोग हवा के झोंकों से सराबोर हो गए। रविवार की शाम थी, दिल्ली और एनसीआर के इलाके बारिश में नहा रहे थे कि एकाएक सूर्य देवता दर्शन क्षितिज पर हुआ और आसमां में एक ऐसे नजारे की दस्तक हुई जो हम किताबों में पढ़ते हैं। आसामां के एक किनारे पर इंद्रधनुष की दस्तक हुई और वो खास इसलिए बन गई क्योंकि वो इकलौती नहीं था, बल्कि उसका सहोदर भी उसके साथ था।
ये है वैज्ञानिक वजह
आमतौर पर रौशनी सफेद रंग की होती है। लेकिन उसमें सात रंग होते हैं, जब प्रकाश की किरण किसी प्रिज्म से गुजरती है तो वो किरण सात रंगों में बंट जाती है जिसे अंग्रेजी में VIBGYOR कहते हैं। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि किरण बैंगनी, आसमानी, नीलास हरा, पीला नांरगी और लाल रंग में बंट जाती है। प्रयोगशालाओं में तो इसे कृत्रिम तौर पर हासिल किया जाता है। लेकिन जब बारिश के बाद मौसम साफ होता है उस समय बारिश की बूंदे आसमान में लटकती रहती है और उससे जब प्रकाश की किरणें गुजरती हैं तो इंद्रधनुष दिखाई देता है।
पौराणिक महत्व
डबल रेनबो के बारे में कहा जाता है कि वो आपके जीवन में बड़े बदलाव की तरफ इशारा कर रहा है। ऐसा हो सकता है कि आप के लिए कुछ ऐसे अवसर सामने आएं जिसके बाद आपकी जिंदगी पूरी तरह बदल जाए। ऐसा माना जाता है कि तूफान जब गुजर जाता है तो वो केवल तबाही की तस्वीर ही नहीं छोड़कर जाता है बल्कि उम्मीदों का सागर भी सामने होता है जिसमें डुबकी लगाने वाला खुद के लिए नई उम्मीद गढ़ता है।