'कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं होता एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों' इस कथन को चरितार्थ किया है पटना के रहने वाले शिवम में, जो कभी रेलवे स्टेशन पर भीख मांगता था। लेकिन, आज एक बड़ी कंपनी के शोरूम में काम रहा है। इतना ही नहीं वो आगे खुद का व्यवसाय खड़ा करना चाहता है और गरीब-कमजोर लोगों की मदद करना चाहता है। तो आइए, जानते हैं किस तरह शिवम ने अपनी जिंदगी बदली और क्या है उसकी कहानी?
21 वर्षीय शिवम पटना जंक्शन पर भीख मांगकर कर किसी तरह अपना पेट पालता था। जब थोड़ा बड़ा हुआ तो कचरे से बोतल, प्लास्टिक चुनने लगा। लेकिन, आज वही शिवम एक टीवी बनाने की बड़ी कंपनी के शोरूम में न केवल नौकरी करता है बल्कि आगे की पढ़ाई की तैयारी में भी जुटा है। शिवम का कहना है कि 'हार हो जाती है तब जब मान लिया जाता है, जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है'। शिवम को ये तक नहीं मालूम है कि उसके माता, पिता कौन हैं और वे इस दुनिया में हैं भी या नहीं। शिवम ने जब होश संभाला तो उसकी दुनिया ही पटना रेलवे स्टेशन के इर्द-गिर्द सिमटी रही। बचपन में जब बच्चे खेलते-कूदते हैं, तब शिवम अपना पेट पालने के लिए दूसरे के सामने हाथ फैलाता था और जो मिलता था उसी से पेट भर लेता था। शिवम जब कुछ बड़ा हुआ तो वह कचरे से प्लास्टिक की बोतल और प्लास्टिक के सामान चुनने लगा।
पढ़ाई का शौक शुरू से था
शिवम का कहना है कि उसे पढ़ने का शौक शुरू से था। उसने ट्रेनों की बोगियों और मिले पैसों की गिनती कर गिनती सीख ली थी। ऐसा ही ट्रेन पर लिखे डब्बों पर लिखे कुछ शब्दों को देख-देखकर कुछ पढ़ना सीख लिया। हालांकि कुछ नशेड़ी दोस्तों के चक्कर में पड़कर शिवम भी नशा करने लगा। इसी बीच, जिला प्रशासन ने शिवम का जिम्मा स्वयंसेवी संस्था रैंबो फाउंडेशन को दे दी। रैंबो फाउंडेशन की बिहार प्रमुख विशाखा कुमारी बताती है कि पटना में पांच सेंटर हैं, जिसमे ऐसे गरीब, अनाथ लड़के, लड़कियों को रखा जाता है और उन्हें शिक्षित कर आगे बढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा कि शिवम, इस फाउंडेशन से जुड़ने के बाद भी कुछ करने को तैयार नहीं था। कई तरह से समझाने के बाद वह पढ़ने को तैयार हुआ। विशाखा बताती हैं कि इसके बाद शिवम में आगे बढ़ने की ललक बढ़ती चली गई। उन्होंने बताया कि वह प्रारंभ से ही कुशाग्र बुद्धि का है और उसकी याददाश्त जबरदस्त है। शिवम ने 10वीं अच्छे नंबरों से पास की, उसके बाद 12वीं की परीक्षाण उतीर्ण की। लेकिन, वो अपनी पढ़ाई से संतुष्ट नहीं है। लेकिन, उसकी कर्मठता और जुनून से प्रभावित होकर टीवी बनाने वाली एक बड़ी कंपनी ने अपने पटना स्थित एक शोरूम में नौकरी दे दी। आज शिवम अच्छी खासी कमाई करता है।
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खुद का व्यवसाय खड़ा करना चाहता है शिवम
शिवम बताता है कि वह स्नातक की पढ़ाई के लिए खुला विश्वविद्यालय में नामांकन के लिए तैयारी कर रहा है। शिवम का कहना है कि वह खुद का व्यवसाय खड़ा करना चाहता है, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर युवकों को नौकरी मिल सके। उन्होंने कहा कि दिनभर काम करने के कारण उसे पढ़ाई का मौका नहीं मिलता, लेकिन रात को वह दो से तीन घंटे नियमित पढ़ाई करता है। आज शिवम पटना में अकेले किराया पर कमरा लेकर रहता है और जीवन के सपनों को पूरा करने के लिए परिश्रम करता है। उसका मानना है कि सफलता के लिए संघर्ष करना कठिन है, लेकिन जीने के लिए संघर्ष करना और भी मुश्किल है।