दुनिया की आबादी लगातार बढ़ रही है ऐसे में लगातार उनके रहने के लिए जमीन की डिमांड भी बढ़ रही है, भोजन और कपड़ों की डिमांड बढ़ रही है। इन सारी जरूरतों को पूरा करने के लिए कृषि के लायक जमीनों को भी इस्तेमाल में लाया जाने लगा है जिसके कारण कृषि की हालत दिन पर दिन खराब होती जा रही है। मानवीय जरूरतों को पूरा करने के लिए कृषि की उपेक्षा से उपजे हालात को ही सूखा कहा जाता है।
मानव तेजी से भौतिकतावादी प्रकृति की ओर बढ़ रहा है। मानव की भौतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार धरती पर औद्योगिक कल कारखाने बन रहे हैं और जिसमें उपजाऊ जमीन का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए उपजाऊ जमीनों को बंजर बनाया जा रहा है यही कारण है कि दुनिया तेजी से सूखे के खतरे की ओर बढ़ रही है।
हर साल 17 जून को वर्ल्ड डे ऑफ कॉमेबैट डिजर्टिफिकेशन एंड ड्रॉट डे मनाया जाता है। आज हम इसके इतिहास के बारे में बात करेंगे साथ ही जानने की कोशिश करेंगे कि आज के समय में इसकी क्या जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इस साल इस दिन कंजम्पशन और लैंड के मुद्दे पर फोकस किया जाएगा यानि की जमीन और उसका सही उपयोग। रिपोर्ट के मुताबिक अब तक दो अरब हेक्टेयर की जमीन को ओद्योगिक कामों में लाया चुका है और 2030 तक कृषि कार्यों के लिए लगभग 300 हेक्टेयर की जमीन की जरूरत महसूस होगी।
30 जनवरी 1995 में सबसे पहले पहले संयुक्त राष्ट्र ने इस चीज की जरूरत को समझी। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दुनिया भर में रेगिस्तान और सूखे से निपटने के लिए यूएन में एक रिजॉल्यूशन को पास किया। इस साल इस खास दिन के लिए ये नारा दिया गया है- फूड, फीड, फाइबर। इसके जरिए वर्तमान और आने वाली पीढ़ी को अपनी व्यक्तिगत जरूरतों को कंट्रोल करने और कम करने के लिए जागरुक होने की बात कही गई है।
इस दिन का महत्व ये है कि लोगों को ये समझाने की कोशिश की जाती है कि जमीन के दुरुपयोग, रेगिस्तान और सूखे के कारण दुनियाभर में कितनी समस्याएं आ रही हैं और इन सबसे कैसे निपटा जा सकता है। इसके जरिए लोगों में ये जागरुकता फैलाई जाती है कि वे किस तरह एक दूसरे के साथ मिलकर इस समस्या से निपटने का रास्ता खोजें। इस साल इस कैंपेन को कोरियन फॉरेस्ट सर्विस के द्वारा होस्ट किया जा रहा है।
सूखे से निपटने के लिए सबसे पहले पेड़ों की कटाई पर रोक लगाना होगा। जितना ज्यादा से ज्यादा हो सके पेड़ों को लगाने पर ध्यान देना होगा। प्रदूषण के स्तर को कम करना होगा। उपजाऊ युक्त जमीनों का उपयोग ओद्योगिक कामों में लाने से बचाना होगा। कृषि का काम भी सुचारु रुप से चलता रहे और औद्योगिक कामों में भी रुकावट ना आए इसके लिए कोई बीच का रास्ता निकालना होगा। बारिश के पानी का संरक्षण करना होगा। भूमि को बंजर होने से बचाना होगा।