नई दिल्ली: हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। कई बार तो यह सरकारी खानापूर्ति तक ही सीमित रह जाता है। लेकिन कोरोना जैसी महामारी के बीच समुद्र से लेकर पहाड़ों तक में आई आपदाएं लगातार हमें इस बात का ध्यान दिलाती हैं कि आज पर्यावरण का किस तरह से अंसुतलन और बढ़ता जा रहा है। लगातार बढ़ती आबादी और अद्यौगिकीकरण के इस दौर में पर्यावरण का मुद्दा तो मानों पीछे ही छूट गया है। प्राकृति संसाधनों का अंधाधुंध दोहन की वजह से आज वैश्विक तापमान लगातार बढ़ रहा है।
प्राकतिक संसाधनों का लगातार हो रहा है दोहन
1972 में के बाद से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है और इस बार इसकी मेजबानी पाकिस्तान करने वाला है। कहने को तो इस दिन पेडों को संरक्षित रखने, पौधारोपण करने तथा नदियों को साफ करने की सलाह दी जाती है लेकिन हकीकत क्या है यह किसी से छिपी नहीं है। पेड़ों का जमकर कटान कर विकास की नई परिभाषा गड़ी जा रही है नदियों में लगातार कचरा फेंकने से प्रदूषण इस कदर बढ़ा कि मछलियों से लेकर अन्य जलचरों की संख्या घटती जा रही है जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए गंभीर खतरा है।
विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम
विश्व पर्यावरण दिवस की हर साल एक अलग थीम तैयार की जाती है। इस बार की थीम 'Ecosystem Restoration' यानि 'पारिस्थितिक तंत्र की पुनर्बहाली' है। दूसरे शब्दों में कहें तो इसका अर्त हुआ पृथ्वी को एक बार फिर से अच्छी अवस्था में लाना। इसके लिए हमें स्थानीय स्तर से जमीनी प्रयास शुरू करने होंगे तभी हम इस पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित कर पाएंगे।
लगातार बढ़ रहा है तापमान
धरती पर लगातार तापमान में बढोतरी हो रही है पिछले दशकों में तापमान में 3-4 डिग्री सेंटीग्रेड का इजाफा हो चुका है। वैश्विक स्तर पर एक तरफ जहां ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं वहीं समुद्र की सतह में लगातार हर साल बढोतरी हो रही है। हिमालय पर मानव निर्मित कार्यों की वजह से किस तरह की आपदाएं आ रही हैं इसका एक उदाहरण हाल ही के महीनों में उत्तराखंड में आई आपदा है जब किसी को बचने तक का मौका नहीं मिला। लगातार बदल रहे मौसम से जहां कहीं समुद्री तूफान आ रहे हैं तो कही अत्यधिक बारिश हो रही हैं। वहीं कई इलाके ऐसे हैं जहां सूखा भी पड़ रहा है और ये सब हमारे पर्यावरण की वजह से हो रहा है।
उठाने होंगे ये कदम
ऐस समय जब पूरा विश्व ग्लोबल वॉर्मिंग, जनसंख्या वृद्धि, ग्लेशियर पिघलने, प्रदूषण, ओजोन परत का क्षरण, अम्लीय बारिश और शहरी फैलाव जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे में हमारे लिए जिम्मेदारियां और बढ़ जाती हैं। हमें खुद तय करना होगा कि हम आने वाली जेनरेशन को क्या देना चाहते हैं, वरना कहीं ऐसा ना हो जो हम आज कर रहे हैं उसका खामियाजा आने वाली पीढ़ी भुगते। इसके लिए हमें ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे पर्यावरण भी संतुलित रहे और लोगों को भी दिक्कत ना हो। इसके लिए हमें अधिक से अधिक पेडों का रोपण, जल संरक्षण, वैकल्पिक ऊर्जा (जैसे सौर ऊर्जा) का प्रयोग, पॉलीथीन बैग की जगह कपड़े के थैलों का उपयोग जैसे छोटे- छोटे कदमों को प्राथमिकता देनी होगी। हमारे इन कदमों की बदौलत ही हम आने वाली पीढ़ी को साफ हवा, पानी मुहैया करा पाएंगे।