सदी की सबसे बड़ी नीलामी! 2.55 करोड़ रुपये में बिका बापू का चश्‍मा

दुनिया
भाषा
Updated Aug 23, 2020 | 10:07 IST

Mahatma Gandhi's glasses auction: महात्मा गांधी के एक चश्‍मे की नीलामी ब्रिटेन में की गई, जिसे अमेरिका के एक शख्‍स ने 2,60,000 पौंड में खरीदा। भारतीय मुद्रा में यह कीमत करीब 2.55 करोड़ रुपये होती है।

सदी की सबसे बड़ी नीलामी! 2.55 करोड़ रुपये में बिका बापू का चश्‍मा (फाइल फोटो)
सदी की सबसे बड़ी नीलामी! 2.55 करोड़ रुपये में बिका बापू का चश्‍मा (फाइल फोटो)  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • ब्रिटेन के एक नीलामी घर ने महात्मा गांधी के चश्मे की बोली लगाई थी
  • भारत, कतर, अमेरिका, रूस समेत दुनिया भर के लोगों ने बोली लगाई
  • अंतत: एक अमेरिकी नागरिक ने इसे 2,60,000 पौंड में खरीद लिया

लंदन : ब्रिटेन के एक नीलामी घर द्वारा सोने की परत चढ़े एक चश्मे की 2,60,000 पौंड (करीब दो करोड़ 55 लाख रूपये) में नीलामी की गई। माना जाता है कि इस चश्मे को महात्मा गांधी ने पहना था और उन्होंने इसे किसी को तोहफे में दिया था। अमेरिका के एक व्यक्ति ने बोली में इस चश्मे को खरीदा। चश्मे के 10,000 से 15,000 पौंड तक मिलने की उम्मीद जताई जा रही थी लेकिन ऑनलाइन नीलामी में बोली बढ़ती गई।

'सदी की सबसे बड़ी नीलामी'

नीलामी घर ने कहा कि इसके लिए भारत, कतर, अमेरिका, रूस और कनाडा समेत दुनिया भर के लोगों ने बोली लगाई। ईस्ट ब्रिस्टल ऑक्शन्स के नीलामीकर्ता एंडी स्टोव ने शुक्रवार को बोली लगाने की प्रक्रिया का समापन करते हुए कहा, 'असाधारण चीज का असाधारण दाम! जिन्होंने बोली लगाई उन सभी का धन्यवाद।'

स्टोव ने कहा कि ईस्ट ब्रिस्टल ऑक्शन के लिए यह एक कीर्तिमान था और उन्होंने इस नीलामी को 'सदी की सबसे बड़ी नीलामी करार दिया।' उन्होंने कहा, 'यह चश्मा पचास सालों तक आलमारी में रखा था। विक्रेता ने मुझसे कहा था कि यदि यह किसी काम का न हो तो फेंक देना। अब उसे इतने पैसे मिलेंगे कि उसकी जिंदगी बदल जाएगी।'

अमेरिकी नागरिक ने खरीदा चश्‍मा

चश्मे के नए अनाम मालिक अमेरिका के एक संकलनकर्ता हैं। दक्षिण पश्चिमी इंग्लैंड के साउथ ग्लूसेस्टरशायर के मंगोट्सफील्ड के एक वृद्ध ने यह चश्मा नीलामी के लिए दिया था। उन्होंने कहा कि वह 2,60,000 पौंड का एक हिस्सा अपनी बेटी को देंगे। अनाम विक्रेता के परिवार में यह चश्मा बहुत पहले से था।

उनके पिता ने उन्हें बताया था कि उनके एक रिश्तेदार को यह तोहफे में मिला था जब वह दक्षिण अफ्रीका में 1910 से 1930 के बीच ब्रिटिश पेट्रोलियम में काम करते थे। चश्मे की प्रमाणिकता के बारे में स्टोव ने बताया, 'विक्रेता ने जो कहानी बताई वह एकदम वैसी ही प्रतीत होती है जो उनके पिता ने उन्हें 50 साल पहले सुनाई थी।' माना जा रहा है कि दक्षिण अफ्रीका में शुरुआती वर्षों में गांधी जी के पास यह चश्मा था।

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