काबुल/वाशिंगटन : अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से पूरी दुनिया में चिंता है। वैश्विक संस्था व नेता यह सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि अफगानिस्तान में लोगों की जान की हिफाजत हो सके और तालिबान के राज में उनकी संपत्ति व अधिकारों की भी रक्षा हो। इसके लिए अब नकदी के जरिये तालिबान पर नकेल कसने की कोशिश हो रही है। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान में फंसे अमेरिकी नागरिकों को भरोसा दिलाया है कि सभी को वहां से निकाला जाएगा।
बाइडन ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'हम आपको घर पहुंचाएंगे।' बीते सप्ताह को 'दिल दहला देने वाला' करार देते हुए उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि हम में से कोई भी इन तस्वीरों को देखकर मानवीय स्तर पर उस दर्द को महसूस नहीं कर सकता। लेकिन प्रशासन लोगों को वहां से सुरक्षित निकालने की दिशा में काम कर रहा है और अभियान को और गति दी जा रही है।'
यहां उल्लेखनीय है कि काबुल एयरपोर्ट के बाहर अराजक और हिंसक माहौल है और लोग भीतर पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस हालात को लेकर बाइडन को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। शुक्रवार को भी काबुल एयरपोर्ट से उड़ान भरने वाली कई फ्लाइट घंटों तक रुकी रही। लेकिन दोपहर बाद फिर से उड़ानें शुरू करने का आदेश दिया गया।
इस बीच अफगानिस्तान को अपने कब्जे में लेने वाले तालिबान पर नकदी के जरिये नकेल कसने की कोशिश हो रही है। अफगानिस्तान में वर्चस्व के बावजूद इस समूह की पहुंच सेंट्रल बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के अरबों डॉलर तक नहीं है, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिहाज से बेहद अहम है। ये धन अमेरिका या अंतराष्ट्रीय संस्थाओं के नियंत्रण में हैं और तालिबान के पास इन्हें पाने का कोई संगठनात्मक ढांचा नहीं है, जिसके कारण तालिबान के सामने देश की अर्थव्यवसथा चलाने में परेशानी हो सकती है।
तालिबान के सामने नकदी की कमी का संकट बना हुआ है, जिसके कारण उन 3.6 करोड़ अफगानों के लिए बड़ा मानवीय संकट पैदा हो सकता है, जिनके देश में ही ठहरने की संभावना है और जो तालिबान के कारण पहले ही कई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। अफगानिस्तान पर अमेरिका के सलाहकार एंथनी कोर्ड्समैन के अनुसार, अगर उनके पास काम नहीं होगा तो वे लोगों का पेट नहीं भर पाएंगे। इस रकम के जरिये तालिबान पर दबाव बनाया जा सकता है।