नई दिल्ली: संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के बाद कतर ने भी पाकिस्तान निवेश करने से मना कर दिया है। कोरोना संकट के बीच आर्थिक संकट से भी जूझ रहे पाकिस्तान के लिए यह किसी झटके से कम नही है। कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (QIA) ने पहले पाकिस्तान में महत्वपूर्ण इंफ्रा प्रॉजेक्ट्स में निवेश करने का फैसला करना किया था। पाकिस्तान मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, क्यूआईए ने पाकिस्तान में हवाई अड्डों पर निवेश करने में जो दिलचस्पी दिखाई थी उससे वह अब पीछे हट गया है।
कतर चाहता था निवेश करना
इसका मुख्य कारण 2017 में पाकिस्तान में अधिकारियों का वह व्यवहार है जो हवाई अड्डे के संचालन को पेशेवर प्रबंधन को सौंपने के खिलाफ हैं। पाकिस्तान पार्किंग सेवाओं, टक शॉप की सेवाओं, हवाई अड्डों पर रेस्तरां सेवाओं जैसी व्यक्तिगत सेवाओं को आउटसोर्स करना चाहता है, ताकि वह हवाई सेवाओं के परिचालन नियंत्रण को बनाए रख सकें। कतर ने पाकिस्तान की सरकार से इस्लामाबाद एयरपोर्ट, जिन्ना इंटरनेशनल एयरपोर्ट और अलामा इकबाल एयरपोर्ट के मालिकाना हक के स्थानांतरण को लेकर बातचीत की था।
पाकिस्तानी नियमों ने नाखुश है कतर
पाकिस्तानी मीडिया में जो दस्तावेज सामने आए हैं उसके मुताबिक “अधिकारियों द्वारा 2017 में किए गए नियमों में बदलाव की वजह से कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी द्वारा निवेश करने के लिए मना कर दिया गया है। इसमें प्रबंधन से लेकर लाइसेंस तक के नियमों में बदलाव किया गया था। पाकिस्तान के इन नियमों ने नाखुश कतर ने भी अब निवेश से अपने हाथ खींच लिए हैं।
इमरान के कतर दौरे के दौरान हुई थी बातचीत
कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी ने पाकिस्तान को सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी के नाम पर तीनों हवाई अड्डों के स्वामित्व को हस्तांतरित करने और उस कंपनी में 35-40 प्रतिशत रणनीतिक हिस्सेदारी खरीदने की इच्छा जताई थी। पाकिस्तान अंग्रेजी दैनिक द न्यूज के पास उपलब्ध आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की कतर यात्रा के दौरान, कतर के अमीर ने पाकिस्तान के प्रमुख हवाई अड्डों में निवेश की इच्छा जताई थी, लेकिन बाद में इसके लिए पाकिस्तान की तरफ से आवश्यक प्रयास नहीं किए गए