Russia-Ukraine War:रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर शिकंजा कसने के लिए अब अमेरिका, ब्रिटेन और दूसरे पश्चिमी देशों ने नया दांव चला है। इन देशों की पुतिन और रूस के अरबपतियों की डार्क मनी पर नजर है। अटलांटिक काउंसिल की रिपोर्ट का दावा है कि इरूस के अरबपतियों की डार्क मनी पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है। और इन अरबपतियों ने करीब एक लाख करोड़ डॉलर डार्क मनी के रूप में छिपा रखे हैं। इसमे से करीब 25 फीसदी रकम पुतिन और उनके करीबी बिजनेसमैन की है।
क्या है डार्क मनी (Dark Money)
असल में डार्क मनी एक तरह से कालाधन है। जिसे रूस के अरबपतियों ने विदेशों में अवैध रूप से जमा कर रखा है। और अब अमेरिका, ब्रिटेन सहित दूसरे देश इस डार्कमनी को पता लगाकर कब्जे में करना चाहते हैं। जिससे पुतिन और उसके सहयोगियों की कमर टूट जाय और वह युद्ध खत्म करने को मजबूर हो सके। अटलांटिक काउंसिल की रिपोर्ट 2020 का दावा है कि इन पैसों का इस्तेमाल जासूसी, आतंकवादी गतिविधियों, औद्योगिक जासूसी, रिश्वतखोरी, दुष्प्रचार और दूसरे कामों के लिए किया जा सकता है। रूस के इन अरबपतियों को ओलीगार्क भी कहा जाता है।
कैसे छुपाते हैं पैसा
रूस के ओलिगार्क विदेशों में अपना पैसा छिपाने के लिए मुख्य रूप से शेल कंपनियों का ही सहारा लेते हैं।अटलांटिक काउंसिल का दावा है कि ओलिगार्क धन को छिपाने के लिए दुनिया के सबसे बड़े वकीलों, ऑडिटर, बैंकरों और लॉबिस्टों का इस्तेमाल करते हैं। और उनके जरिए टैक्स हैवन देशों में डार्कमनी को छुपाते हैं। ज्यादातर यह पैसा साइप्रस, वर्जिन और क्रेमैन आइलैंड, कैरेबियन आइलैंड के कुछ देशों और दूसरे टैक्स हैवन देशों में छुपाया जाता है।
शिकंजा कसने के लिए क्या है तैयारी
रूस के पैसे का पता लगाने के लिए अमेरिका ने 'क्लेप्टोकैप्चर' टास्क फोर्स बनाने का ऐलान किया है। इसके जरिए वह अवैध तरीके से जुटाई गई संपत्ति को जब्त करेगा। इसी तरह ब्रिटेन की सरकार ने अनएक्सप्लेन्ड वेल्थ ऑर्डर (UWO) के जरिए अवैध संपत्तियों का पता लगाने की योजना बनाई है । ब्रिटेन ने 'गोल्डन वीजा योजना' को भी रद्द करने का एलान किया है। ब्रिटेन की तरह माल्टा ने भी इस योजना को खत्म करने का ऐलान किया है। ब्रिटेन रूस के अरबपतियों की रहने की पसंदीदा जगह है।
रूस पर लग चुके हैं कई आर्थिक प्रतिबंध
इसके पहले युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका और यूरोप ने रूस पर SWIFT से लेन-देन पर प्रतिबंध लगा दिया था। सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार SWIFT पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगने पर रूस की जीडीपी में 5 फीसदी तक जीडीपी गिरावट आ सकती है। स्विफ्ट अंतरराष्ट्रीय वित्तीय लेन-देन से संबंधित सिस्टम है और इससे दुनियाभर के 200 से अधिक देशों के 11,000 से अधिक वित्तीय संस्थान जुड़े हुए हैं। इसके अलावा दुनिया की प्रमुख कंपनियों ने रूस में अपने कारोबार को या तो रोक दिया है या फिर कारोबार को सीमित कर दिया है। इसमें एप्पल, BMW, डेल,H&M, ओरेकल, बोइंग, Mersk,Diageo जैसी कंपनियां शामिल हैं।
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