नई दिल्ली: विश्व की दो महाशक्ति चीन और अमेरिका के बीच रिश्ते काफी तल्ख हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित अमेरिकी प्रशासन कई बार कह चुका है कि चीन ने जानबूझकर कोरोना वायरस फैलाया और वह चाहता तो दुनिया इस संकट से बच सकती थी। लेकिन चीन ने इस जानकारी को समय पर साझा करने की बजाय उसे बेकाबू होने तक दुनिया से छिपाए रखा। लेकिन अमेरिका के इन आरोपों को चीन सिरे से खारिज कर चुका ह। गौर हो कि चीन के वुहान शहर से शुरू होकर पूरी दुनिया में फैली कोरोना वायरस महामारी के कारण दोनों देशों के बीच संबंध बेहद कटुतापूर्ण हो गए हैं। इस महामारी के कारण दुनिया भर में सर्वाधिक 85,000 से ज्यादा लोगों की मौत अमेरिका में हुई है। इस महामारी से पूरा विश्व परेशान है।
चीन से डोनाल्ड ट्रंप है खफा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनियाभर में कोरोना वायरस के फैलने के मद्देनजर चीन से सारे रिश्ते तोड़ने की धमकी तक दे डाली है। पिछले कई हफ्तों से राष्ट्रपति ट्रंप पर चीन के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बढ़ रहा है। सांसदों और विचारकों का कहना है कि चीन की निष्क्रियता की वजह से वुहान से दुनियाभर में कोरोना वायरस फैला। एक सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा कि वह चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से फिलहाल बात नहीं करना चाहते हैं। हालांकि उनके चिनफिंग से अच्छे रिश्ते हैं। ट्रंप ने कई बार कहा है कि चीन ने उन्हें निराश किया है। डोनाल्ड ट्रंप चीन पर वायरस की उत्पत्ति के बारे में जांच करने का दबाव बना रहे हैं। वह इस आरोप की जांच की भी मांग कर रहे हैं जिसके मुताबिक यह वायरस वुहान की एक जैविक प्रयोगशाला से जन्मा है।
चीन के खिलाफ 18 सूत्री योजना का अमेरिकी 'वार'
अमेरिका के एक शीर्ष सांसद ने चीन की सरकार को कोविड-19 वैश्विक महामारी का कारण बनाने वाले उसके कथित 'झूठ, छल और बातों को गुप्त रखने की कोशिशों' के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने को लेकर 18 सूत्री योजना सामने रखी है। सीनेटर थोम टिलिस की इस 18 सूत्री योजना के मुताबिक चीन सरकार ने खराब मंशा से बातों को छिपाया और ऐसी वैश्विक महामारी फैलायी जो हजारों अमेरिकियों के लिए विपत्ति लेकर आई। यह वही शासन है जो अपने ही नागरिकों को श्रम शिविरों में बंद करके रखता है, अमेरिका की प्रौद्योगिकी एवं नौकरियां चुराता है और हमारे सहयोगियों की संप्रभुता के लिए खतरा उत्पन्न करता है।
योजना में क्या की गई है मांग
योजना में चीन से सारी उत्पादन इकाइयां वापस अमेरिका लाई जाएं और धीरे-धीरे आपूर्ति श्रृंखलाओं को लेकर चीन पर निर्भरता समाप्त किए जाने की बात कही गई है । साथ ही यह भी कहा गया है कि चीन को हमारी प्रौद्योगिकी चुराने से रोका जाए तथा हमारे प्रौद्योगिकीय फायदे फिर से प्राप्त करने के लिए अमेरिकी कंपनियों को प्रोत्साहन दिया जाए। यह भी मांग की गई है कि चीन की हैकिंग एवं गड़बड़ियों से बचने के लिए साइबर सुरक्षा मजबूत की जाए। इसके अलावा इस योजना में चीनी सरकार से मुआवजा मांगने तथा वायरस के बारे में झूठ बोलने के लिए उस पर प्रतिबंध लगाए जाने का सुझाव दिया गया है। साथ ही कहा गया है कि चीन को उसके अत्याचारी मानवाधिकार रिकॉर्ड के लिए भी प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
चीन नहीं मानता कोरोना दुनिया में उसने फैलाया
अमेरिका इस बात पर अडिग है कि चीन ने कोरोना फैलाया लेकिन चीन ऐसा नहीं मानता है। चीन ने कोरोना वायरस प्रकोप की भयावहता को छिपाने संबंधी अमेरिका के आरोपों से इनकार किया है। उसने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि वह वुहान की विषाणु विज्ञान प्रयोगशाला में वायरस की उत्पत्ति का दावा कर लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने पिछले महीने कहा था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को कोविड-19 की जानकारी देने वाला पहला देश चीन था और इसका यह मतलब नहीं है कि वायरस वुहान से पनपा है। कभी कोई जानकारी नहीं छिपाई गई और न ही कोई जानकारी छिपाने की इजाजत दी जाएगी।
वूहान में छिपा है कोरोना का सुराग!
डोनाल्ड ट्रंप यह मांग कर रहे हैं कि अमेरिका से एक टीम जाकर वुहान लैब में जांच करें लेकिन चीन ऐसा नहीं चाहता है। अमेरिका ने चीन से बार-बार कहा कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को वुहान की प्रयोगशाला जाने की इजाजत दी जाए, लेकिन उसने इसे नहीं माना। अमेरिका के इन मांगों और आरोपों के बीच चीन खुद को पाक साफ बनाए रखने की कोशिश कर रहा है तभी वह दुनिया भर में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के मद्देनजर चीन से सारे रिश्ते तोड़ने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकी पर कहता है कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में आधी दूरी वह तय करेगा और आधी दूरी अमेरिका तय करे।
चीन को धोना होगा कोरोना का दाग
एक बात साफ है कि अगर चीन पर जो दाग लगे हैं वह तभी धुल सकते हैं जब वह यह साबित कर दें कि वुहान से कोरोना नहीं फैला। अमेरिका दुनिया के ताकतवर मुल्कों में शुमार है। वह चाहता है कि उसके विशेषज्ञ उस शहर और मीट मार्केट का दौरा करें जहां से इस महामारी का फैलाव शुरू हुआ। चीन के रुख से लगता है कि वह इसकी इजाजत नहीं देगा। दोनों देश यदि अपने रुख पर अड़े रहे तो स्थिति तनावपूर्ण हो सकती है।