इस्लामाबाद/दुबई : पाकिस्तान में बलूच नागरिक किस तरह सेना और यहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई के दमन का शिकार होते रहे हैं, इसकी जानकारी कई रिपोर्ट्स से सामने आ चुकी है। पाकिस्तान में भय के माहौल के बीच कई बलूच नेता विदेशों में शरण लिए हुए हैं, जहां से वे अपना अभियान जारी रखे हुए हैं। इन बलूच नेताओं ने पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आजादी की मांग भी उठाई है।
इन सबके बीच अब दुबई के पूर्व पुलिस प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल धाही खलफान ने बलूच नागरिकों को लेकर जो कुछ भी कहा है, उससे पाकिस्तान में एक नया बवाल पैदा होता नजर आ रहा है। उन्होंने 27 जनवरी को ट्विटर पर लिखा कि पाकिस्तान में रह रहे बलूच नागरिकों को मिसाइल दी जानी चाहिए, ताकि वे उससे खुद को बचा सकें। इसके बाद हुए ट्विटर पोल में जहां 38.9 प्रतिशत लोगों ने उनसे सहमति जताई, वहीं 61.1 फीसदी उनसे असहमत दिखे। पोल में 41,000 से अधिक लोग शामिल हुए।
दुबई के पूर्व पुलिस प्रमुख का यह ट्विटर पोल 37 वर्षीया बलूच एक्टिविस्ट करीमा बलूच के अंतिम संस्कार के दो दिन बाद आया। पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आजादी को लेकर अभियान चलाने वाली करीमा बलूच का शव बीते 21 दिसंबर को कनाडा के टोरंटो में हार्बरफ्रंट वाटर्स में संदिग्ध परिस्थितियों में पाया गया था। बाद में उनका शव कनाडा से बलूचिस्तान लाया गया, जहां उनके पैतृक गांव में उसे दफनाया गया।
पाकिस्तान की मुखर आलोचक करीमा बलूच बलूचिस्तान में अपने समुदाय के नागरिगों के खिलाफ सेना के अत्याचार पर खुलकर बोलती थीं। ऐसे में अंदेशा जताया जा रहा है कि उनकी मौत के पीछे सेना या आईएसआई का हाथ हो सकता है। कनाडा के पत्रकार एवं एक्टिविस तारिक फतह ने भी करीमा की मौत पर सवाल उठाते हुए कहा कि की हत्या के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। उन्होंने कनाडा सरकार से इसकी जांच कराने की मांग कराते हुए कहा कि पाकिस्तान की सेना और आईएसआई अपने खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों की हत्या करा देती है।
इन सबके बीच बलूच नागरिकों को लेकर दुबई पुलिस के पूर्व प्रमुख का बयान आया है, जिससे पाकिस्तान में नया बवाल पैदा होता दिख रहा है। हालांकि यह कोई पहला अवसर नहीं है, जब उन्होंने पाकिस्तान को लेकर इस तरह की बात कही है। इससे पहले 2018 में भी उन्होंने यह कहकर पाकिस्तान को सवालों के घेरे में ला दिया था कि यह खाड़ी देशों के लिए गंभीर खतरा है, जहां के लोग अपने साथ ड्रग्स लेकर चलते हैं। उन्होंने स्थानीय लोगों से यह भी कहा था कि वे पाकिस्तानी नागरिकों को काम पर न रखें।