वाशिंगटन : भारत के बाद अब अमेरिका में भी टिक-टॉक जैसे चीनी ऐप्स को बैन करने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ के बाद अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ'ब्रायन ने भी इस पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि ये ऐप्स चीन सरकार द्वारा दुनियाभर में सर्विलांस और जासूसी को लेकर 'बड़ा उपकरण' रहे हैं और भारत के बाद अगर अमेरिका और कुछ अन्य यूरोपीय देश भी इस पर बैन लगा दें तो इससे चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के जासूसी के एजेंडे पर बड़ी चोट होगी।
फॉक्स न्यूज रेडियो को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन टिक-टॉक, वी-चैट और ऐसे ही अनय चाइनीज ऐप्स पर बैन को लेकर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, जैसा कि आप जानते हैं, भारत ने पहले ही इन ऐप्स को बैन कर दिया है। अब अगर अमेरिका और कुछ पश्चिमी यूरोपी देशों में भी ऐसा होता है तो इससे चीन के जासूसी कार्यक्रम को बड़ा झटका लगेगा, क्योंकि ये ऐप्स चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के लिए जासूसी या सर्विलांस के बड़े उपकरण के तौर पर काम करते रहे हैं।
ओ'ब्रायन ने कहा कि आजकल लोग, खासकर युवा व किशोर टिक-टॉक का बहुत इस्तेमाल कर रहे हैं। यह बहुत मनोरंजक है, पर इसके लिए वे किसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आपसे जुड़ी सभी निजी जानकारी, प्राइवेट डेटा हासिल कर लेता है। वे आपके दोस्तों और अभिभावकों के बारे में भी जानकारी जुटा लेते हैं और यह सब जानकारी चीन तक पहुंचती है, जहां सुपर कम्प्यूटर आपकी जानकारियों को स्टोर कर लेता है। इस तरह चीन आपके बारे में सबकुछ जान लेता है।
उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन अब टिक-टॉक और वी-चैट के साथ-साथ अन्य चीनी ऐप्स को लेकर भी गंभीरतापूर्वक विचार कर रहा है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले सप्ताह ही कहा था कि उनक प्रशासन चीनी ऐप्स को प्रतिबंधित करने पर विचार कर रहा है। इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने कहा था कि अमेरिका इस पर विचार कर रहा है। यहां उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव के बीच भारत ने पिछले दिनों 59 चीनी ऐप्स को बैन करने का ऐलान किया था।