काबुल: अफगानिस्तान (Afghanistan) से अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बीच यहां तालिबान (Taliban) का प्रभुत्व लगातार बढ़ते जा रहा है। बृहस्पतिवार को देश के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात पर कब्जा करने के बाद अब तालिबान ने देश के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार पर कब्जा करने का दावा किया है। इसे तालिबान के लिए सबसे बड़ी कामयाबी माना जा रहा है और कहा जा रहा है कि जल्द ही वह काबुल को भी अपने कब्जे में ले लेगा।
न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, तालिबान के प्रवक्ता ने ट्वीट करते हुए कहा, 'कंधार पूरी तरह से जीत लिया है। मुजाहिदीन शहर में स्थित शहीद चौक पर पहुंच गए हैं।' तालिबान के इस कब्जे के बाद अब अशरफ घनी सरकार के हाथ में महज काबुल तथा अन्य छोटे क्षेत्रों का ही नियंत्रण रह गया औऱ जिस तेजी से तालिबान आगे बढ़ रहा है, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में अफगानिस्तान पर केवल तालिबान का राज होगा।
गुरुवार को अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने घोषणा की कि अमेरिकी रक्षा विभाग काबुल से दूतावास के कर्मचारियों को निकालने के लिए अफगानिस्तान में सेना भेजेगा। उन्होंने कहा, 'अगले 24-48 घंटों में काबुल हवाई अड्डे पर 3 पैदल सेना बटालियनों को भेजा जाएगा। इन सैनिकों की संख्या लगभग 3,000 हैं। इन्हें असैन्य कर्मियों की व्यवस्थित और सुरक्षित वापसी के लिए तैनात किया जा रहा है। यह एक अस्थायी मिशन है। हमारे कमांडरों के पास आत्मरक्षा का अंतर्निहित अधिकार है और उन पर किसी भी हमले का जोरदार जवाब दिया जा सकता है।'
विदेशी बल कर रहे हैं वापसी
अमेरिका और नाटो के सैनिक करीब 20 साल पहले अफगानिस्तान आये थे और उन्होंने तालिबान सरकार को अपदस्थ किया था। अब अमेरिकी बलों की पूरी तरह वापसी से कुछ सप्ताह पहले तालिबान ने गतिविधियां बढ़ा दी हैं। फिलहाल प्रत्यक्ष रूप से काबुल पर कोई खतरा नहीं है लेकिन तालिबान की देश के करीब दो तिहाई हिस्से पर पकड़ मजबूत होती दिख रही है। हजारों लोग घर छोड़कर जा चुके हैं क्योंकि उन्हें डर है कि एक बार फिर तालिबान का दमनकारी शासन आ सकता है।