फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है ब्रॉडशीट केस, लूटी संपत्ति को वापस लाने में अब खुद ही 'लुट' रहा पाक

दुनिया
आलोक राव
Updated Jan 28, 2021 | 09:51 IST

जनरल परवेज मुशर्रफ जब सत्ता में आए तो उन्हें अहसास हुआ कि राजनेताओं सहित कई लोगों ने भ्रष्टाचार के जरिए देश को लूटकर अपनी संपत्तियां विदेशों में खड़ी की है और इसकी रिकवरी की जानी जरूरी है।

Broadsheet case : a saga that hunts Pakistan and NAB
लूटी संपत्ति को वापस लाने में अब खुद ही 'लुट' रहा पाक। 

Broadsheet Case: ब्रॉडशीट केस पाकिस्तान के लिए मुश्किलों का सबब बन गया है। इस मामले में इतने उतार-चढ़ाव और पेचीदिगियां हैं कि इसे समझना आसान नहीं है। देश की लूटी हुई संपत्ति को वापस लाने की जनरल परवेज मुशर्रफ की कवायद पाकिस्तान सरकार के लिए इतने मंहगे का सौदा बन जाएगा, इस बात की कल्पना इमरान सरकार ने कभी नहीं की होगी। दरअसल, लंदन की अदालत ने पाकिस्तान उच्चायोग के बैंक खाते से रकम निकालने पर रोक लगा दी है, इसके बाद यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आया है। इमरान सरकार ने ब्रिटेन स्थित रिकवरी फर्म ब्रॉडशीट एलएलसी मामले की जांच का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अजमत सईद शेख को सौंपा है। ब्रॉडशीट केस की कहानी किसी हॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है।

मुशर्रफ ने बनाई एनएबी
जनरल परवेज मुशर्रफ जब सत्ता में आए तो उन्हें अहसास हुआ कि राजनेताओं सहित कई लोगों ने भ्रष्टाचार के जरिए देश को लूटकर अपनी संपत्तियां विदेशों में खड़ी की है और इसकी रिकवरी की जानी जरूरी है। इसके लिए उन्होंने नेशनल एकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) बनाई। मुशर्रफ ने विदेशों में रिकवरी करने का जिम्मा उस समय के नैब प्रमुख जनरल अमजद को सौंपा। अमजद ने इस काम के लिए ब्रॉडशीट कंपनी का चुनाव किया। खास बात यह है कि इस कंपनी का रिकवरी के क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं था, फिर भी इसे चुना गया। नैब ने विदेशों में संपत्तियों की पहचान एवं उनकी रिकवरी के लिए साल 2000 में आइल ऑफ मैन में ब्रॉडशीट के साथ करार किया। 

ब्रॉडशीट ने 7.5 मिलियन डॉलर की रिकवरी कराई
इस कंपनी के मालिकों में कुछ वकील और कारोबारी शामिल थे। मालिकों में शामिल एक वकील जेरी जेम्स थे। जेम्स के साथ ही नैब की बातचीत हुई थी लेकिन अमेरिका की एक अदालत ने फ्रॉड के आरोप में उनका प्रैक्टिस लाइसेंस रद्द कर दिया था। कंपनी ने शुरुआत में पाकिस्तान को करीब 7.5 मिलियन डॉलर की एक रिवकरी कराई। इस मामले में पाकिस्तानी नौसेना के पूर्व प्रमुख सहित कई जनरलों की संपत्तियों की रिकवरी हुई। करार के मुताबिक इस रिकवरी का 20 प्रतिशत हिस्सा ब्रॉडशीट को दिया गया। 

रिकवरी के लिए 200 लोगों की सूची सौंपी
माना जाता है कि पाकिस्तान सरकार ब्रॉडशीट के साथ करार में अपने हितों की सुरक्षा नहीं कर पाई और यह करार बहुत हद तक कंपनी के पक्ष में एकतरफा था। इस करार में बहुत सारी अस्पष्टता रह गई जो बाद में पाकिस्तान को भारी पड़ा। नैब ने रिकवरी के लिए ब्रॉडशीट को 200 लोगों की सूची दी थी। पाकिस्तान सरकार को शक था कि लोगों ने भ्रष्टाचार के जरिए पैसा बनाकर दुनिया के अन्य देशों में रखा है। ब्रॉडशीट को इनके बारे में पता लगाने एवं उनकी रिकवरी कराने में पाकिस्तान सरकार की मदद करनी थी। इन संपत्तियों की रिकवरी से होने वाली कमाई का 20 प्रतिशत हिस्सा ब्राडशीट के पास जाना था। हालांकि बाद में ब्रॉडशीट पाकिस्तान के लिए कोई बड़ी रिकवरी नहीं करा पाई। जिसके बाद 2003 में नैब ने ब्रॉडशीट के साथ करार खत्म कर दिया। करार खत्म किए जाने के खिलाफ ब्रॉडशीट कोर्ट में चली गई। 

2007 में लिक्विडेशन में चली गई ब्रॉडशीट
साल 2007 में अपने वित्तीय वादों को पूरा नहीं कर पाने की वजह से कंपनी लिक्विडेशन में चली गई। दरअसल, 2003 में पाकिस्तान सरकार की ओर से करार खत्म किए जाने के बाद भी ब्रॉडशीट के साथ उसका मूल करार पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ था। वह कायम रहा। बता दें कि कोई भी कंपनी अपने मालिकों से एक अलग इकाई होती है। 2008 में पाकिस्तान सरकार ने इस मामले को कोर्ट से बाहर सलटाने की राह पर आगे बढ़ी। इसके लिए पाकिस्तान की तरफ से अहमद बिलाल ने जेरी जेम्स के साथ संपर्क किया। दिलचस्प बात है कि जेम्स के साथ पाकिस्तान सरकार जब बातचीत कर रही थी तो उनका ब्रॉडशीट के साथ कोई लेना देना नहीं था। वह इस कंपनी से अलग हो चुके थे।

जेम्स को डेढ़ मिलियन डॉलर का भुगतान 
बातचीत के दौरान पाकिस्तान सरकार ने जेम्स को डेढ़ मिलियन डॉलर का भुगतान कर दिया। बॉडशीट के लिक्विडेशन में जाने के बाद ईरानी मूल के शख्सियत कावेश मौसवी ने इस कंपनी को दोबारा से चालू किया। मौसवी ने दावा किया कि ब्रॉडशीट कंपनी के मालिक वह हैं, इसलिए कोई भी निपटारा उनके साथ होना चाहिए। मौसवी अलग से पाकिस्तान सरकार से हर्जाना चाहते हैं। इस मामले में लंदन की एक अदालत ने पाकिस्तान सरकार को क्षतिपूर्ति के रूप में ब्रॉडशीट को 29 मिलियन डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया है। दरअसल, कोर्ट ने क्षतिपूर्ति का जो आदेश दिया है कि वह रिकवरी के लिए नहीं बल्कि ब्रॉडशीट को भविष्य में हुए नुकसान के लिए है। मसलन ब्रॉडशीट को यह रकम उसके मुनाफे में हुए नुकसान के लिए है। कोर्ट के आदेश के बाद लंदन स्थित यूनाइटेड बैंक लिमिटेड ने पाकिस्तान उच्चायोग को लिखे पत्र में कहा कि भुगतान न होने पर वह उच्चायोग के खाते से रकम काट लेगा। 

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