नई दिल्ली : दुनिया में कार्बन डाईआक्साइड का सबसे ज्यादा उत्सर्जन करने वाले देश अमेरिका और चीन अब मिलकर जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटेंगे। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले इन दो देशों ने जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए अपना सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है। अमेरिका और चीन ने कहा है कि वे मीथेन उत्सर्जन में कमी लाने के साथ-साथ जंगलों को संरक्षण करेंगे और कोयले के इस्तेमाल पर चरणबद्ध तरीके से पीछे हटेंगे। दोनों देशों की इस घोषणा को काफी अहम माना जा रहा है।
ग्लासगो में यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस में संयुक्त बयान जारी करते हुए दोनों देशों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वे अपने प्रयासों को दोगुना करेंगे। इसके लिए वे एक करार पर पहुंच गए हैं। अमेरिका और चीन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करने के लिए अब वे 'ठोस कदम' उठाएंगे। दोनों देश पेरिस जलवायु समझौते की गाइडलाइन का पालन करेंगे और 2025 तक कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कटौती करेंगे।
ग्रीनपीस इंटरनेशनल की निदेशक जेनिफर मोर्गन ने कहा कि मसौदे में कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने और जीवाश्म ईंधनों के लिए सब्सिडी देने के आह्वान को संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौते में प्राथमिकता दी जाएगी, लेकिन इसमें समयसीमा तय नहीं की गयी है जिससे इस संकल्प का प्रभाव सीमित होगा। बयान में जीवाश्म ईंधन के लिए सब्सिडी देने की प्रक्रिया में तेजी लाने की बात कही गई है।