Queen Elizabeth lying-in : ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ सोमवार को होनी है। उनकी इस अंत्येष्टि समारोह में दुनिया भर के शिष्टमंडल होंगे। चर्चा है कि अंत्येष्टि के मौके पर मौजूद रहने के लिए राष्ट्राध्यक्षों और गणमान्य विदेशी अतिथियों समेत 500 लोगों को बुलाया गया है। महारानी को श्रद्धांजलि देने के लिए चीन का एक शिष्टमंडल भी लंदन पहुंच रहा है लेकिन रिपोर्टों की मानें तो चीन के इस शिष्टमंडल को महारानी के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
सांसदों के विरोध पर ब्रिटेन ने उठाया कदम
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक दरअसल, ब्रिटेन के कुछ सांसदों ने चीनी शिष्टमंडल को अंत्येष्टि समारोह में बुलाए जाने पर विरोध जताया है। सांसदों का कहना है कि शिनजियांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन की आलोचना करने पर चीन ने हमारे कई सांसदों पर प्रतिबंध लगाया है, ऐसे में उसके शिष्टमंडल को महारानी के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए।
उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार के हैं आरोप
हालांकि, शिनजियांग में मुसलमानों पर अत्याचार एवं जुल्म करने के अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों को चीन खारिज करता आया है। हाल ही में शिनजियांग प्रांत में चीन के मानवाधिकार उल्लंघन पर संयुक्त राष्ट्र ने भी रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उइगर समुदाय के मुसलमानों पर चीन तरह-तरह से जुल्म करता है और उन्हें यातनाएं देता है।
वेस्टमिनिस्टर हाल में जाने की इजाजत नहीं
बीबीसी की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि समझा जाता है कि चीन के प्रतिबंधों को देखते हुए संसद के निचले सदन के स्पीकर ने चीनी शिष्टमंडल को वेस्टमिनिस्टर हाल में जाने की इजाजत नहीं दी है। उनके इस फैसले के बाद चीन सरकार के इस शिष्टमंडल को समारोह में शिरकत करने की मंजूरी नहीं दी गई है। हालांकि, इस घटनाक्रम पर स्पीकर के हाउस ने किसी तरह बयान देने से इंकार किया है। हाउस ऑफ कॉमन्स का कहना है कि सुरक्षा के मामलों को देखते हुए वह कोई बयान नहीं देगा।
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चीनी प्रवक्ता ने कहा-हमने रिपोर्ट नहीं देखी
प्रधानमंत्री लिज ट्रस कार्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि बकिंघम पैलेस की यह जिम्मेदारी है कि वह विदेश मंत्रालय के साथ सलाह-मशविरा करने के बाद विदेशी अतिथियों की सूची जारी करे। ब्रिटेन के साथ राजनयिक रिश्ते रखने वाले देशों को इस तरह के समारोहों में बुलाए जाने की परंपरा रही है। वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने एक ब्रीफिंग में कहा कि उन्होंने इस तरह की कोई रिपोर्ट नहीं देखी है।