World’s 1st Anti-Hypersonic System: 15 सेकेंड में एक्टिव हो जाता है एंटी हाइपरसोनिक सिस्टम, चीन के दावे में कितनी सच्चाई

दुनिया
शिवानी शर्मा
Updated Jun 03, 2022 | 18:45 IST

World’s 1st Anti-Hypersonic System: चीन का दावा है कि उसमे एक ऐसा हाइपरसोनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम बनाया है जो हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल के रास्ते को भांप सकता है।

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पावर्ड एंटी हाइपरसोनिक सिस्टम बनाने का चीन ने किया है दावा 
मुख्य बातें
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से रुक सकेगी हाइपरसोनिक मिसाइल 
  • अमेरिका को जवाब देने की तैयारी
  • 15 सेकेंड में एंटी हाइपरसोनिक सिस्टम के एक्टिव होने का दावा

चीन लगातार अपनी हाइपरसोनिक आक्रामक क्षमताओं का दावा करता आया है लेकिन अब पहली बार चीन ने हाइपरसोनिक मिसाइल से रक्षा के लिए एक खास डिफेंस सिस्टम तैयार करने की बात कही है। चीन के सैन्य शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के साथ एक ऐसा खास हाइपरसोनिक डिफेंस सिस्टम तैयार किया है जो एक हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल के रास्ते को भाप सकता है और वह भी आवाज की गति से 5 गुना ज्यादा तेजी के साथ। चीन के एक अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में ऐसे ही एक हाइपरसोनिक सिस्टम का दावा किया है।

 आखिर क्या है एंटी हाइपरसोनिक डिफेंस सिस्टम 
इस सिस्टम में रॉकेट के जरिए हाइपरसोनिक ग्लाइडरवाहन को लक्ष्य को भेदने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ग्लाइड खुद को रॉकेट से अलग कर लेता है और निशाने की तरफ ग़ज़ब की गति से बढ़ता है या यूं कहें की आवाज की तेजी से 5 गुना ज्यादा रफ्तार के साथ।माना जाता है कि हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल को ट्रैक कर पाना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि वह बहुत ही कम समय में स्पेस और वातावरण में रीएंटर करता है। अमेरिका भी हाइपरसोनिक डिफेंस सिस्टम पर पिछले कई सालों से काम कर रहा है लेकिन अब चीन के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि वह अमेरिका से इस प्रणाली को बनाने में काफी आगे निकल गए हैं। उनके मुताबिक चीन में एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एयर डिफेंस सिस्टम तैयार कर लिया गया है जो एक आने वाली मिसाइल को 3 मिनट के एडवांस समय के साथ काउंटर अटैक कर सकता है। चीन के एक कंप्यूटर वैज्ञानिक ने दावा किया है कि
ट्रजैक्ट्री प्रिडिक्शन के जरिए वह एयरोस्पेस डिफेंस इंटरसेप्शन कर सकते हैं ताकि उनके एयरोस्पेस में आने वाली कोई भी मिसाइल उसी वक्त नष्ट कर दी जाए जैसे ही वह अपनी जगह से लक्ष्य की तरफ बढ़े।

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 अमेरिका को काउंटर करने के लिए चीन का डिफेंस सिस्टम  
चीन का यह दावा अमेरिका के हाइपरसोनिक वेपन सिस्टम के सफल परीक्षण की खबरों के बीच आया है जो उसने हाल ही में किया है। अमेरिका ने एयर लॉन्च रैपिड रिस्पांस वेपन हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। साथ ही हाइपरसोनिक एयर ब्रीडिंग वेपन कांसेप्ट को भी सफलता से पूरा किया। लिहाजा चीन पर एंटी हाइपरसोनिक सिस्टम बनाने का दबाव बढ़ गया है।

 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से रुक सकेगी हाइपरसोनिक मिसाइल 
आमतौर पर बचाव के लिए किसी भी मिसाइल का वजन, आकार एयरोडायनेमिक कंट्रोल सिस्टम और उसमें लगे हथियारों के बारे में पता लगाना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि यह मिसाइल हाइपरसोनिक यानि आवाज से भी तेज गति से चलती है लेकिन चीन के वैज्ञानिकों ने अपने परीक्षण के बाद दावा किया है की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए हाइपरसोनिक मिसाइल के बारे में सटीक अनुमान लगाया जा सकता है लिहाजा इसे लॉन्च होने के साथ ही नष्ट किया जा सकता है।

इस तकनीक को सफल बनाने के लिए चीन के वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से इकट्ठा किए गए डाटा के तमाम सैंपल पर शोध किया। एक खास तरह का एल्गोरिदम तैयार किया गया। बिल्कुल इंसान के दिमाग की तरह चलने वाले सिमुलेटर पर शोध करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए हाइपरसोनिक मिसाइल को भेदने की तकनीक पर काम किया गया।चीनी शोधकर्ताओं के अनुसार, एआई द्वारा संचालित एक वायु रक्षा प्रणाली, आने वाले हथियार के संभावित Trajectory का अनुमान लगा सकती है और तीन मिनट के लीड समय के साथ जवाबी प्रतिक्रिया शुरू कर सकती है। औसत मिसाइल 8 किमी (5 मील) के लक्ष्य क्षेत्र के भीतर रहती है, जो एक ऐसे हथियार के लिए काफी संकीर्ण है जो दूरी को 2 सेकंड में कवर करता है।

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चीनी वायु सेना के खुफिया विभाग के एक कंप्यूटर वैज्ञानिक झांग जुनबियाओ ने कहा है कि, "दुनिया की सैन्य शक्तियां वर्तमान में हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहनों के विकास के लिए दौड़ में शामिल हैं, जो वायु और अंतरिक्ष सुरक्षा के लिए नई और गंभीर चुनौतियां ला रही हैं।" एक हाइपरसोनिक ग्लाइड हथियार अंतरिक्ष से हमला करता है और एक पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइल के विपरीत वातावरण के अंदर और बाहर यात्रा कर सकता है - जिसे ट्रैक करना और अवरोधन करना कठिन हो जाता है। Mach 5 या उससे अधिक की गति पर यह एक वायु रक्षा प्रणाली को प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत कम समय छोड़ता है और आमतौर पर यह माना जाता है कि मौजूदा तकनीक हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल को रोक नहीं सकती है।

 15 सेकंड में एक्टिव हो जाता है एंटी हाइपरसोनिक सिस्टम 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से चलने वाला ट्रजैक्ट्री प्रिडिक्शन सिस्टम महज 15 सेकंड में परिणाम दिखाता है। इसे एक लैपटॉप कंप्यूटर पर देखा जा सकता है। कई सिमुलेटर प्रयोगों में यह देखा गया कि यह नया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंटी मिसाइल सिस्टम हथियारों की बड़ी रेंज के खिलाफ सक्रिय है और इसकी गति 12 माक स्पीड तक है। इसी साल मार्च में चीन के एयरोस्पेस डिफेंस इंडस्ट्री ने दावा किया था कि बीजिंग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम बनाने में बड़ी सफलता हासिल की है और अब वह खुद अपने लिए हाइपरसोनिक हथियार तैयार कर सकता है।

 चीन के सिस्टम पर क्या है भारतीय विशेषज्ञों की राय 
रक्षा क्षेत्र से जुड़े भारतीय विशेषज्ञों की माने तो मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में चीन के लिए हाइपरसोनिक मिसाइल से निपटना एक चुनौती बन गया है। अमेरिका की बढ़ती हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक का सामना करने के लिए चीन अब एंटी हाइपरसोनिक सिस्टम तैयार कर रहा है। रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल अशोक कुमार (रि) का कहना है कि अब तकनीक ही आने वाले युद्ध का सबसे बड़ा हथियार होगा।

मेजर जनरल अशोक कुमार कहते हैं कि," युद्ध का स्वभाव बदला है और उसी के साथ युद्ध लड़ने के शस्त्र भी बदले हैं। एक दूसरे के सामने आकर लड़ाई उस दौर में जा रही है जहां काफी दूर से शस्त्रों का प्रयोग करके उसे जीता जा सकता है या यूं समझिए की आमने सामने की लड़ाई को जीतना काफी आसान बनाया जा सकता है। इसी विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए कई एक उन्नत देशों ने दूर मार करने वाली मिसाइलों का निर्माण करना शुरू किया जिसमें अमेरिका रूस चीन और कई अन्य देश शामिल है जिसमें भारत भी आगे की कतार में खड़ा है। जो देश नहीं बना पाए उन्होंने खरीदारी करके या किसी दोस्त देश से इसे पाकर अपनी सैनिक क्षमता का विकास किया है।

एक तरफ इन मिसाइलों का विकास हुआ तो वहीं इनको डिटेक्ट करने के साधन भी बने जिनमें यूएसए की पाटरीयार्ट 8 मिसाइल एवं रूस की s-400 मिसाइल रक्षा सिस्टम प्रमुख हैं।  चीन काफी दिनों से हाइपरसोनिक मिसाइल पर काम कर रहा था क्योंकि सामान्य मिसाइलों को अपने लक्ष्य पर मार करने के पहले ही उनके लोकेशन और रास्ते का पता लगाना आसान था और उन्हें बर्बाद करना संभव था। इसकी जगह हाइपरसोनिक मिसाइल को पकड़ पाना अभी तक लगभग असंभव है। अमेरिका और चीन दोनों ने इस क्षेत्र में प्रगति की है लेकिन चीन इस मामले में अमेरिका से भी काफी आगे निकल गया है। इसकी वजह से चीन की हाइपरसोनिक मिसाइलों को पकड़ पाना उतना आसान नहीं होगा खासकर मौजूदा सिस्टम का प्रयोग करके चीन जहां एक तरफ हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल करके अपने प्रतिरोधी देशों से आगे निकल रहा है वही उसे यह चिंता भी है कि कुछ समय बाद कुछ अन्य देश भी हाइपरसोनिक मिसाइल बनाएंगे और तब चीन को भी खतरा होगा।

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इसी समस्या का निदान करने के लिए अब चीन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया है। इसका प्रयोग करके वह हाइपरसोनिक मिसाइलों को छोड़े जाने के बाद समय रहते उनकी जगह को भाप लेगा ताकि उसके विनाश के लिए सक्षम मिसाइल छोड़ी जाएं। चीन के लिए यह बहुत आवश्यक है ताकि वह ताइवान के अपने एकीकरण के प्रयासों में अमेरिका के खिलाफ और नॉर्थ कोरिया को भी आने वाले समय में सशक्त करना चाहेगा ताकि वह भी भारत और अमेरिका की मिसाइलों का प्रतिकार करने में सक्षम हो। हाइपरसोनिक मिसाइलों का विकास और उसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल चीन की सामरिक विकास में मील का पत्थर साबित होगा।"

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