बीजिंग/नई दिल्ली : हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए क्वाड देशों (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) का शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। कोरोना वायरस संक्रमण के बीच यह शिखर सम्मेलन ऑनलाइन तरीके से आयोजित होने जा रहा है, जिसमें भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा शामिल होंगे। 12 मार्च (गुरुवार) को होने वाले इस सम्मेलन को कई मायनों में खास समझा जा रहा है।
यह सम्मेलन ऐसे समय में होने जा रहा है, जब हाल ही में भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में डिस्एंगेजमेंट और तनाव दूर करने की प्रक्रिया शुरू हुई है। इस बीच अमेरिका लगातार चीन को अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए खतरा करार दे रहा है। बुधवार को भी पेंटागन के एक शीर्ष कमांडर एडमिरल फिल डेविडसन ने प्रतिनिधि सभा की सशस्त्र सेवा समिति के समक्ष चीन को 21वीं सदी में सबसे बड़ा व दीर्घकालीन सामरिक खतरा पैदा करने वाला बताया तो एक अन्य अधिकारी डेविड हेल्वे ने भारत के साथ सैन्य एवं तकनीकी सहयोग को गहराने की बात कही।
इन सबके बीच क्वाड का पहला शिखर सम्मेलन होने जा रहा है, जिसे लेकर चीन डरा हुआ नजर आ रहा है। क्वाड देश पहले ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाए रखने का संकल्प जता चुके हैं। इस बीच अमेरिका और भारत की ओर से यह स्पष्ट किया जा चुका है कि 12 मार्च को होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन में दुनिया के चार महत्वपूर्ण देशों के शीर्ष नेता कोविड-19 वैक्सीन की आपूर्ति से लेकर जलवायु परिवर्तन और हिंद-प्रशांत को मुक्त, खुला और समावेशी बनाए रखने की दिशा में अपेक्षित सहयोग के व्यावहारिक पहलुओं पर भी चर्चा करेंगे।
उल्लेखनीय है कि चीन के बढ़ते दखल के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरती स्थिति प्रमुख वैश्विक शक्तियों के बीच एक प्रमुख मुद्दा बन गई है। चीन पर नियंत्रण के लिए अमेरिका क्वाड को एक प्रभावी सुरक्षा ढांचा बनाने का पक्षधर रहा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के संकल्प को दोहराते हुए क्वाड के विदेश मंत्रियों ने भी गत 18 फरवरी को भी एक डिजिटल बैठक की थी। इससे पहले क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों ने 6 अक्टूबर, 2020 को टोक्यो में मुलाकात की थी। चीनी मीडिया में 'क्वाड' देशों को चीन की तरक्की के खिलाफ दर्शाया जाता है।