China Naval Base: अक्टूबर 2020 में सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला कि कंबोडियाई सरकार ने दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र के रीम नेवल बेस में दो अमेरिका की ओर से निर्मित सुविधाओं को ध्वस्त कर दिया था। हालांकि वॉशिंगटन की ओर से उन्हें फिर से बनाने की पेशकश के बावजूद कंबोडियाई सरकार ने उसे ध्वस्त कर दिया था। वहीं अब द वॉशिंगटन पोस्ट में पहली बार छपी रिपोर्टों के मुताबिक 9 जून को उसी बेस पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी कब्जा कर नेवल बेस बनाना शुरू करेगी। ये नेवल बेस एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बीजिंग के तेजी से मजबूत शक्ति प्रदर्शन का एक साफ संकेत है, क्योंकि चीन नियंत्रण की अमेरिकी नीति का मुकाबला करना चाहता है।
कंबोडिया में नेवल बेस बना रहा चीन
हालांकि चीनी और कंबोडियाई अधिकारियों ने इस बात से इनकार किया है कि रीम में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की स्थाई उपस्थिति होगी, लेकिन वॉशिंगटन पोस्ट का कहना है कि बीजिंग के एक अधिकारी ने पुष्टि की है कि चीनी सेना और चीनी वैज्ञानिक बेस के एक हिस्से का इस्तेमाल करेंगे।
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द वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट वॉल स्ट्रीट जर्नल की 2019 की एक रिपोर्ट का हवाला देती है, जिसमें कहा गया था कि चीन ने रीम का उपयोग करने के लिए अपनी सेना के लिए 30 साल के गुप्त समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। अमेरिकी राजनयिक सूत्रों ने टाइम को बताया कि उनका मानना है कि वहां कम से कम एक अर्ध-स्थाई चीनी सैन्य उपस्थिति होगी। द वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की सेना कंबोडिया के रीम नेवल बेस के उत्तरी हिस्से में थाईलैंड की खाड़ी में मौजूद है।
अंडमान में है भारत की तीनों सेनाओं का संयुक्त कमान
वहीं रीम नेवल बेस पर चीन की मौजदूगी से अमेरिका के साथ भारत की टेंशन भी बढ़ी है। दरअसल नेवल बेस पर चीन के कब्जे से भारत की समुद्री सुरक्षा को ज्यादा खतरा हो सकता है। इस बेस से भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह की दूरी सिर्फ 1200 किलोमीटर है। साथ ही भारत की तीनों सेनाओं का संयुक्त कमान भी अंडमान में है। वहीं नेवल बेस बनने के बाद चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की नौसेना काफी आसानी से भारत और अमेरिका की खुफिया निगरानी कर सकती है।
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