चीन को सता रही 'बुढापे' की चिंता, 2022 तक यहां हर सात में से एक शख्‍स होगा बुजुर्ग

एक अनुमान के मुताबिक, चीन में 2022 तक हर सात में से एक शख्‍स 65 साल या उससे अधिक की उम्र का होगा। इसे देखते हुए चीन की पेशानी पर बल पड़ने लगे हैं।

चीन को सता रही 'बुढापे' की चिंता, 2022 तक यहां हर सात में से एक शख्‍स होगा बुजुर्ग
चीन को सता रही 'बुढापे' की चिंता, 2022 तक यहां हर सात में से एक शख्‍स होगा बुजुर्ग  |  तस्वीर साभार: Representative Image

बीजिंग : चीन के दक्षिणी गुआंगदोंग प्रांत में मार्च की शुरुआत में कोर्ट ने एक कंपनी को उस महिला को पूरी सैलरी व अन्‍य भत्‍ते देने का आदेश दिया था, जिसे उसने तीन माह के मातृत्‍व अवकाश के बाद अतिरिक्‍त समय के लिए अनुपस्थित रहने के कारण नौकरी से निकाल दिया था। यूं तो यह फैसला एक नियोक्‍ता व उसके कर्मचारी के संबंध दिए गए सामान्‍य अदालती आदेश का लगता है, लेकिन इसके निहितार्थ कहीं दूरगामी हैं।

चीन में जो जनसांख्‍यिकीय बदलाव बीते कुछ समय में देखने को मिला है, उसे देखते हुए इस फैसले की अहमियत और बढ़ जाती है। दरअसल चीन के युवा कामकाजी दंपतियों में विगत कुछ समय में बच्‍चे नहीं पैदा करने या इसे टालने का रूझान बढ़ा है। इसकी एक बड़ी वजह के तौर पर कार्यस्‍थलों पर महिलाओं के लिए, खासकर बच्‍चों की परवरिश को लेकर अनुकूल परिस्थितियों का नहीं होना है।

कामकाजी दंपतियों की आशंका

इन कामकाजी परिस्थितियों के कारण कामकाजी महिलाओं का एक बड़ा वर्ग बच्‍चों के लालन-पालन को लेकर भयभीत रहता है। उनमें मातृत्‍व अवकाश लेने और उसके बाद की परिस्थितियों में नौकरी गंवाने का डर देखा जा रहा है, जिसकी वजह से वे परिवार बढ़ाने के फैसले से पीछे हट रही हैं। चीन में कानूनी जानकार कोर्ट के हालिया फैसले को युवा दंपति के मन से उन्‍हीं आशंकाओं को हटाने की एक कोशिश के तौर पर देख रहे हैं।

'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्‍ट' की एक रिपोर्ट में महिलाओं के प्रजनन संबंधी अधिकारों को लेकर लड़ने वाली गुआंगझू की अध‍िवक्‍ता शियाओयिंग दोंग के हवाले से कहा गया है कि इस फैसले से चीन में महिलाएं अधिक समय के मातृत्‍व अवकाश को लेकर आगे आ सकेंगी। दरअसल, चीन का राष्‍ट्रीय कानून जहां 98 दिनों के मातृत्‍व अवकाश का प्रावधान करता है, वहीं विभन्‍न प्रांतों में इससे अतिरिक्‍त दिनों के अवकाश का कानून भी है, जिसका लाभ महिलाएं करियर संबंधी आशंकाओं के कारण नहीं उठा पाती हैं। गुआंगदोंग में यह कुल मिलाकर 6 महीने का हो जाता है।

चीन की बजुर्ग होती आबादी

इसी रिपोर्ट में चीन के जनसांख्‍य‍िकीय संरचना को लेकर कहा गया है कि अगर युवाओं में बच्‍चे पैदा करने को लेकर यही रूझान जारी रहा तो साल 2022 तक चीन एक 'उम्रदराज समाज होगा, जहां हर सात में से एक शख्‍स 65 वर्ष का होगा। यह चीन के आर्थिक विकास के लिहाज से किसी भी तरह ठीक नहीं होगा और इसका सीधा असर सरकारी पेंशन फंड पर पड़ेगा। चीन की जनसांख्‍य‍िकीय संरचना को लेकर इसी तरह की चिंता बीते साल भी जताई गई थी, जब यहां जन्‍मदर में 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। इसे चीन के 1961 के जन्‍म दर के जैसा बताया गया।

ऐसे में चीन की परेशानी साफ समझी जा सकती है। दोंग के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाएं परिवार बढ़ाने को लेकर सहज महसूस कर सकें, इसके लिए 'कल्‍चरल शिफ्ट' की जरूरत है।

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