बीजिंग : पूर्वी लद्दाख में भारत से सीमा विवाद के बीच चीन के इरादों को लेकर भारत हमेशा से सतर्क रहा है। भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों ने चीन की मंशा को लेकर समय-समय पर चेतावनी जारी की है। चीन की 'विस्तारवादी' नीतियों को लेकर अमेरिका खास तौर पर उसके इरादों को लेकर हमलावर तेवर अपनाए रहा है। इन सबके बीच चीन के राष्ट्रपति ने दुनिया को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि उनका देश शांतिप्रिय मुल्क है और इसने किसी भी दूसरे देश की एक इंच जमीन तक नहीं ली है।
शी जिनपिंग ने यह बात अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ सोमवार को हुई वर्चुअल मीट के दौरान कही। अमेरिका और चीन के बीच कई मुद्दों पर मतभिन्नता के बीच यह बैठक हुई, जिसके बाद 'चीन के विस्तारवाद' को लेकर अमेरिकी सांसद जॉन कॉर्निन ने भी चेताया। भारत और दक्षिण पूर्व एशिया की अपनी यात्रा का ब्यौरा देते हुए रिपब्लिकन सांसद ने कहा कि चीन से सर्वाधिक खतरा उन देशों को है, जो उसकी सीमा के करीब हैं। चीन की चुनौतियों के प्रति आगाह करते हुए अमेरिकी सीनेटर ने दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते दखल के साथ-साथ भारत के साथ सीमा विवाद और ताइवान पर मंडराते चीन के खतरे को लेकर भी आगाह किया था।
इन सबकी पृष्ठभूमि में चीन के राष्ट्रपति के बयान को आसानी से समझा जा सकता है, जिसके जरिये उन्होंने चीन की कथित शांतिप्रियता को दुनिया के समझने रखने का प्रयास किया। इस बैठक के दोरान शी जिनपिंग ने कहा, 'चीन के लोगों ने हमेशा शांति को प्यार और महत्व दिया है। चीनी राष्ट्र के खून में आक्रामकता या आधिपत्य नहीं है। पीपुल्स रिपब्लिक की स्थापना के बाद से चीन ने कभी भी एक भी युद्ध या संघर्ष शुरू नहीं किया है और कभी दूसरे देशों से एक इंच जमीन नहीं ली है।'
शी जिनपिंग के इस बयान को चीन की आक्रामक नीतियों को लेकर उसकी अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं को कमतर करने के प्रयास के तौर पर देखा ज रहा है। इसमें भारत के साथ सीमा विवाद के साथ ही दक्षिण चीन सागर में चीन का दखल, ताइवान के खिलाफ चीन सरकार का रुख, जापान के साथ समुद्री विवाद जैसे मसले भी शामिल हैं, जिसे लेकर चीन पर 'विस्तारवाद' का आरोप लगता रहा है।