बाइडेन की घुड़की काम नहीं आई, ताइवान के वायु क्षेत्र में चीन ने फिर भेजे फाइटर जेट्स 

China-Taiwan tension: कुछ दिनों पहले बाइडेन ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि ताइवान पर यदि चीन हमला करता है तो अमेरिका चुप नहीं रहेगा, वह सैन्य दखल देगा। चीन-ताइवान विवाद पर अमेरिका के किसी राष्ट्रपति का यह अब तक का सबसे सख्त बयान माना गया।

China sends 30 warplanes into Taiwan air defence zone
ताइवान के वायु क्षेत्र में दाखिल हुए चीन के लड़ाकू विमान। -फाइल फोटो  |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • ताइवान के वायु क्षेत्र में एक बार फिर दाखिल हुए चीन के लड़ाकू विमान
  • हाल के समय में ताइवान को लेकर ज्यादा आक्रामक हुआ है चीन
  • 'वन चाइना पॉलिसी' के तहत ताइवान को अपना हिस्सा मानता है बीजिंग

China warplanes : अमिरकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के चेतावनी के बावजूद चीन के तेवर नरम नहीं पड़े है। ताइवान पर उसकी आक्रामकता बनी हुई है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने ताइवान के वायु क्षेत्र में अपने 30 लड़ाकू विमानों को भेजा है। ताइवान पहले भी चीन पर अपने वायु क्षेत्र का उल्लंघन करने का आरोप लगा चुका है। वायु क्षेत्र के इस नए अतिक्रमण से अमेरिका, ताइवान और चीन के बीच विवाद एवं तनाव बढ़ सकता है।

बाइडेन ने दिया है सख्त बयान
कुछ दिनों पहले बाइडेन ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि ताइवान पर यदि चीन हमला करता है तो अमेरिका चुप नहीं रहेगा, वह सैन्य दखल देगा। चीन-ताइवान विवाद पर अमेरिका के किसी राष्ट्रपति का यह अब तक का सबसे सख्त बयान माना गया। अमेरिका के इस बयान के बाद चीन की यह आक्रामकता दिखाती है कि उसने बाइडेन की चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया है। 

जनवरी के बाद यह सबसे बड़ा अतिक्रमण
जनवरी के बाद चीन की वायु सेना की तरफ से यह सबसे बड़ा अतिक्रमण बताया जा रहा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन के ये लड़ाकू विमान सोमवार को ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में दाखिल हुए। हाल के समय में चीन ने ताइवान की वायु सीमा के समीप अपनी सैन्य गतिविधियां तेज की हैं। इन गतिविधियों को वह अभ्यास बताया करता है। हालांकि, चीन के इन कथित युद्धाभ्यासों पर ताइवान ने हमेशा नाराजगी जाहिर की है। चीन की वायु सेना की ओर से होने वाले इन अतिक्रमणों को ताइवान अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है। 

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ताइवान को अपना हिस्सा मानता है चीन
चीन अपनी 'वन चाइना पॉलिसी' के तहत ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। बीजिंग का मानना है एक न एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बनेगा। जबकि ताइवान खुद को एक आजाद मुल्क बताता है। उसकी अपनी एक सरकार है। हालांकि, कई देशों ने चीन के दबाव में ताइवान को अलग देश के रूप में मान्यता नहीं दी है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद इस बात की आशंका जताई जाने लगी है कि चीन आने वाले समय में ताइवान को अपने में शामिल करने के लिए उस पर हमला कर सकता है। चीन के मुकाबले ताइवान की सैन्य शक्ति बहुत कमजोर है। वह हथियारों के लिए अमेरिका पर निर्भर है। सैन्य ही नहीं आर्थिक एवं आबादी के मोर्चे पर भी ताइवान चीन के आगे कहीं नहीं ठहरता।    

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