टोक्यो : एशिया में चीन के बढ़ते दबदबे के बीच जापान ने कहा है कि बीजिंग क्षेत्रीय समुद्रों में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है और इसके लिए कोरोना वायरस महामारी तक का इस्तेमाल कर रहा है, जिससे जापान और क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर बड़ा खतरा पैदा होता जा रहा है। जापान के रक्षा श्वेत पत्र 2020 में चीन के साथ-साथ उत्तर कोरिया को भी देश के लिए संभावित खतरा बताया गया है। जापान के बयान से क्षेत्र में तनाव और बढ़ने के आसार हैं।
जापान का यह रक्षा श्वेत पत्र ऐसे समय में आया है, जबकि दक्षिण चीन सागर पर अमेरिका ने कुछ ही समय पहले चीन के दावों को खारिज कर दिया था। दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन का कई एशियाई देशों से विवाद है और क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए चीन की नौसेना लगातार समुद्री क्षेत्रों में युद्धाभ्यास कर रही है। बताया जा रहा है कि आसपास के देशों को जानबूझकर समुद्र में जाने से रोका जा रहा है। ऐसे में पहले अमेरिका और अब चीन के बयान से क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है।
जापान के रक्षा श्वेत पत्र 2020 में चीन पर कोरोना वायरस महामारी को लेकर भी गलत सूचनाएं फैलाने और दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया गया है। इसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी से अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय व्यवस्था को अपने लिए अधिक अधिक अनुकूल बनाने तथा अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे देशों के बीच रणनीतिक प्रतिस्पर्धा तेज हो सकती है। ऐसे में अपनी उनके आगामी कदमों पर करीब से नजर रखने की जरूरत है, जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं।
जापान के इस रक्षा श्वेत पत्र से पहले अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने दक्षिण चीन सागर में चीन के क्षेत्रीय दावे को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए कहा कि 'दुनिया को हड़पने' के नजरिए की 21वीं सदी में कोई जगह नहीं है और चीन क्षेत्र में मनमाने तरीके से कानून लागू नहीं कर सकता। वहीं, इससे पहले अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (FBI) के निदेशक क्रिस्टोफर रे ने चेताया कि चीन, अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने चीन की जासूसी और सूचनाओं की चोरी को अमेरिका के भविष्य के लिए 'अब तक का सबसे बड़ा और दीर्घकालिक खतरा' बताया।